दिल्ली में सीएए (CAA) एनआरसी (NRC) कानूनों के विरोध में इसी साल फरवरी माह में हुई सांप्रदायिक दंगों पर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने fact-finding रिपोर्ट जारी की है। दिल्ली दंगा पर सीपीएम (CPM) की रिपोर्ट जारी कर गृह मंत्री अमित शाह को सीधे हिंसक भड़काने और जांच में पक्षताप करने का जिम्मेदार करार दिया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि अमित शाह के अंतर्गत आने वाला गृह मंत्रालय कई मायनों में हिंसा भड़काने के पीछे जिम्मेदार था। सीपीएम ने रिपोर्ट में उत्तर पूर्वी दिल्ली में सांप्रदायिक हिंसा फरवरी 2020 के नाम से जारी की गई है। जिसमें 53 लोगों की जान गई थी।
हिंसा में 53 लोगों की जान गई थी
दिल्ली हिंसा जो फरवरी में हुई थी उसमें कुल 53 लोगों की जान गई थी। जिसमें 40 मुस्लिम और 13 हिंदू थे। सीपीएम के रिपोर्ट में कहा गया है कि 11 मार्च 2020 को अमित शाह ने सांसद को बताया कि वह दिल्ली के प्रमुख पुलिस अधिकारियों के संपर्क में है और मामले की गहराई से निगरानी कर रहे हैं।सीपीएम का कहना है कि आखिर सेना भारी मात्रा में तैनात क्यों नहीं की गई। उनका यह भी कहना है कि 24 फरवरी को जब हिंसा भड़की तब कर्फ्यू क्यों नहीं लगाया गया। दावा किया जा रहा है कि 23 फरवरी से 27 फरवरी के बीच 26 लाख आबादी वाले एक जिले में सिर्फ 1393 से 4756 जवान ही तैनात किए गए थे।
दिल्ली दंगा को लेकर CPM की बड़ी रिपोर्ट
रिपोर्ट में जारी किया गया है कि घटना की जैसे ही जांच होती गृह मंत्री 11 मार्च को लोकसभा में इसका ब्यौरा दे दिया। इसके बाद हुई दिल्ली दंगा की जांच सिर्फ नजरिया बैघ करार देने के लिए की गई। उनका कहना है कि अमित शाह ने भाजपा नेताओं के बहुत सारे भाषणों को भी नजरअंदाज किया है। जिसमें बहुत सारे भड़काऊ भाषण भी है।दिल्ली हिंसा जो फरवरी में हुई थी उसमें कुल 53 लोगों की जान गई थीhttps://www.fastkhabre.com/myntra-ने-लॉन्च-किया-नया-डिजिटल/
सीपीएम के अनुसार भाषणों के लिए उल्टे विपक्ष पर ही आरोप लगा दिया गया और कहा कि कांग्रेस ने हीं अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों से करो या मरो की लड़ाई के लिए सड़कों पर आए। गृह मंत्री अमित शाह ने हिंसा के लिए विपक्ष और अल्पसंख्यक पर ही सारा जिम्मेदारी थोप दिया था।