बिहार के बहुचर्चित सृजन घोटाला मामले में मुख्य अभियुक्त रजनी प्रिया को सीबीआई ने गाजियाबाद से गिरफ्तार किया है। हालांकि अभी तक इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है। सीबीआई की विशेष अदालत ने रजनी प्रिया समेत दो अन्य आरोपियों, पूर्व आईएएस केपी रमैया और अमित कुमार, को भगोड़ा घोषित किया था। रजनी के खिलाफ दिल्ली मुख्यालय में 12 जून 2018 को केस (आरसी संख्या 2172018ए0006) दर्ज किया गया था। इसमें आईपीसी की धारा 420, 465, 468, 471 और 477ए के अलावा बिहार सहकारी समिति अधिनियम 1935 की धारा 45 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था।
सीबीआई की विशेष अदालत ने 28 फरवरी को भागलपुर के पूर्व जिलाधिकारी केपी रमैया और घोटाले की किंगपिंग रही मनोरमा देवी के बेटे अमित कुमार और बहू रजनी प्रिया की गिरफ्तारी के लिए स्थायी वारंट जारी करने का निर्देश दिया था। इसके साथ ही अदालत ने इन तीनों के मुकदमे के अभिलेख को अलग करने का भी निर्देश दिया। करोड़ों रुपये के घोटाले के इस मामले में कुल 27 आरोपित हैं। इनमें 12 न्यायिक हिरासत के तहत बेऊर जेल में हैं। सात आरोपित जमानत पर हैं। सीबीआई की विशेष कोर्ट ने तीन आरोपितों केपी रमैया, अमित कुमार और रजनी प्रिया के खिलाफ कुर्की वारंट जारी किया था। सीबीआई ने फरार अमित कुमार व उसकी पत्नी रजनी प्रिया की 13 चल व अचल संपत्तियों को जब्त करने की कार्रवाई की है।
भागलपुर के प्रशासनिक इतिहास में आईएएस अधिकारी रहे कुंदरू पालेम रमैया (केपी रमैया) पहले जिलाधिकारी हैं। जो किसी अदालत से भगोड़ा घोषित किए गए हैं। पटना स्थित स्पेशल सीबीआई अदालत ने सृजन घोटाला में पूर्व डीएम केपी रमैया के अलावा सृजन संस्था के किंगपिन स्व. मनोरमा देवी के बेटे अमित कुमार और बहू रजनी प्रिया को भगोड़ा घोषित किया था। सीबीआई की दर्ज प्राथमिकी 14 ए/2017 में रमैया, रजनी व अमित तीन साल से फरार चल रहे थे। सीबीआई ने इस एफआईआर में 18 मार्च 2020 को 28 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी। इस पर कोर्ट से समन के बावजूद हाजिर नहीं होने पर रमैया समेत 10 लोगों के खिलाफ गिरफ्तारी का वारंट जारी किया गया था। सीबीआई के खोज के प्रयास के बाद भी रमैया पकड़ से बाहर रहे। आंध्रप्रदेश के नेलौर जिला निवासी केपी रमैया जदयू से लोकसभा चुनाव लड़ चुके हैं। 2014 में उन्होंने वीआरएस लेकर राजनीति ज्वाइन की थी। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उन्हें जेडीयू में शामिल कराया था। इसके बाद उन्हें लोस चुनाव में सासाराम से प्रत्याशी बनाया, लेकिन हार गये। 1986 बैच के आईएएस अधिकारी हैं। 1989 में वे पहली ज्वाइनिंग भभुआ के एसडीओ बने। वे बेगूसराय व पटना के डीएम भी रहे। वीआरएस से पहले एससी-एसटी विभाग के प्रधान सचिव थे। इसके साथ ही महादलित आयोग के सचिव भी थे।
सीबीआई की चार्जशीट में बताया गया कि सरकारी खातों को लूटने के लिए सृजन महिला विकास सहयोग समिति ने जो जाल बिछाया था, इसे डीएम रहते हुए केपी रमैया ने ही शह दी थी। उन्होंने सभी सरकारी व गैर-सरकारी संस्थाओं को अधिकृत पत्र जारी कर सृजन में पैसा जमा करने के लिए कहा था। सीबीआई का आरोप है कि डीएम रहते हुए केपी रमैया ने 18 दिसंबर 2003 को जिले के सभी बीडीओ, ग्रामीण विकास, पंचायत समिति सदस्य व सरकारी व गैर-सरकारी संस्थाओं को एक पत्र लिखा था। पत्र के बाद 2004 से जिले के कई बीडीओ ने सृजन के खाते में राशि जमा की थी।औ
उन्होंने इस पत्र में कहा था कि उन्होंने निरीक्षण के दौरान पाया कि सृजन महिला विकास सहयोग समिति लिमिटेड का बैंक शाखा जिला केंद्रीय सहकारिता बैंक भागलपुर से संबद्ध है। जो पूर्व के जिलाधिकारी और उप-विकास अधिकारी द्वारा संपुष्ट है। इसलिए समिति के बैंक में सभी तरह के खाता खोलकर इन्हें प्रोत्साहित किया जा सकता है। पूर्व डीएम रमैया ने यह पत्र (पत्रांक-1136 दिनांक 20 दिसंबर 2003 ) को लिखा था। इस पत्र के बाद ही 2004 से जिले के कई बीडीओ ने सृजन के खाते में राशि जमा की। सबौर ब्लॉक परिसर स्थित ट्रायसेम भवन को भी 2004 में तत्कालीन डीएम के आदेश पर उस वक्त रहे सीओ ने सृजन को लीज पर दे दी।
सृजन एनजीओ की सचिव स्व. मनोरमा देवी ने जीवित हाल में छोटी बहू रजनी प्रिया को सचिव बना दिया। रजनी के सचिव बनने से खफा लोगों ने सृजन खाते से दिए करोड़ों रुपये समय पर नहीं लौटाए। जिससे भू-अर्जन का खाता बाउंस कर गया और तत्कालीन डीएम आदेश तितरमारे ने शक पर जांच से घोटाला सामने आया। सीबीआई ने अब तक 29 एफआईआर दर्ज की है। जिसमें 25 मुकदमे में रजनी प्रिया और उनके पति अमित कुमार नामजद हैं। दोनों पर लुक कॉर्नर नोटिस भी जारी किया गया है। देश के सभी एयरपोर्ट पर तस्वीर भी चस्पा हुई लेकिन कोई अता-पता नहीं चल सका। सीबीआई और ईडी ने दोनों के नाम से तमाम ज्ञात बैंक खाते, 13 चल-अचल संपत्तियां जब्त कर रखी हैं।