भारत में गेहूं की सबसे अधिक खेती की जाती हैं। गेहूं भारत की प्रमुख फसल मानी जाती हैं। धान कटाई करने के बाद किसान गेहूं की खेती करने की तैयारी करते हैं। दूसरी फसलों की तरह गेहूं में भी अलग-अलग प्रकार की नस्ले और बीज पाए जाते हैं। जितनी उन्नत गेहूं के बीज की होती हैं उतनी ही उन्नत गेहूं की फसल होती हैं। इससे किसान के गेहूं उत्पादन में और मुनाफे में बढ़ोतरी होती हैं। आज हम इस आर्टिकल के माध्यम से जानेंगे की सबसे अच्छा गेहूं का बीज कौन सा है तथा गेहूं की किस्मों के नाम और कीमत आर्टिकल को नीचे पूरा पढ़ें।
Table of Contents
सबसे अच्छा गेहूं का बीज इस्तेमाल करने के फायदे
- उपज: उच्च उपज देने वाली किस्में किसानों को अधिक लाभ कमाने में मदद कर सकती हैं।
- रोग प्रतिरोधकता: रोग प्रतिरोधी किस्में किसानों को फसलों को नुकसान से बचाने में मदद कर सकती हैं।
- जलवायु अनुकूलता: विभिन्न जलवायु परिस्थितियों के लिए अनुकूल किस्में किसानों को अधिक क्षेत्रों में गेहूं की खेती करने की अनुमति दे सकती हैं।
- गुणवत्ता: उच्च गुणवत्ता वाली किस्में बेहतर आटा और रोटी बनाने के लिए उपयुक्त होती हैं।
सबसे अच्छा गेहूं का बीज कौन सा है
भारत में सबसे लोकप्रिय गेहूं की किस्मों के बारे में बताया गया है जो इस प्रकार है।
डीबीडब्ल्यू 303
यह किस्म उच्च उपज, रोग प्रतिरोधकता और जलवायु अनुकूलता के लिए जानी जाती है। गेहूं के इस किस्म को करण वैष्णवी के नाम से भी जाना जाता है। इस किस्म से किसान भाई 81.2 क्विंटल प्रति हेक्टेयर पैदावार प्राप्त कर सकते हैं. गेहूं की इस किस्म से फसल 145 दिन में पककर तैयार हो जाती है. इस गेहूं से बनी रोटियां भी बहुत स्वादिष्ट और सेहतमंद मानी जाती हैं.
HD 3086 (पुसा गौतमी)
गेहूं की यह किस्म भी उच्च उपज और रोग प्रतिरोधकता के लिए जानी जाती है। गेहूं की यह किस्म उत्तर पश्चिमी क्षेत्रों में लगभग 145 दिनों में पककर तैयार होती है वहीं उत्तर पूर्वी मैदानी क्षेत्रों में यह किस्म लगभग 121 दिनों में पककर तैयार हो जाती है। पूसा गौतमी किस्म पीले तथा भूरा रतुआ रोग के लिए भी प्रति रोधी है।
पूजा तेजस
यह किस्म उच्च उपज और गुणवत्ता के लिए जानी जाती है। इस किस्म के गेहूं का उत्पादन उतराखंड, हिमाचल प्रदेश तथा कश्मीर में अच्छा होता हैं। 5 नवंबर से 25 नवंबर के बीच इसकी बुवाई का अच्छा समय माना जाता हैं। प्रति हेक्टर इस गेहूं का उत्पादन 60 से 80 क्विंटल जितना होता हैं।
करन वंदना ( डीबीडब्ल्यू-187)
करन वंदना किस्म की नस्ल को डीबीडब्ल्यू-187 के नाम से भी जाना जाता हैं। करन वंदना बीज की खास बात यह है की इसमें ब्लास्ट और पीला रतुआ बीमारी लगने की संभावना बहुत कम होती हैं। गंगा तटीय विस्तार में इस गेहूं की फसल अच्छी होती हैं। इस फसल को संपूर्ण रूप से तैयार होने में करीब 3 महीने का समय लगता हैं। यह गेहूं प्रति हेक्टर 75 क्विंटल जितना पैदा हो जाते हैं।
इनमें से प्रत्येक किस्म की अपनी अनूठी विशेषताएं हैं, इसलिए किसानों को अपनी विशिष्ट आवश्यकताओं के लिए सबसे उपयुक्त किस्म चुनना चाहिए।
Conclusion
यदि आपके पास गेहूं की खेती के लिए पर्याप्त संसाधन हैं, तो आप उच्च उपज और गुणवत्ता वाली किस्मों पर विचार कर सकते हैं। ये किस्में आपको अधिक लाभ कमाने और बेहतर गुणवत्ता वाली फसल पैदा करने में मदद कर सकती हैं। दोस्तों आपको ये जानकारी कैसी लगी कमेंट में जरूर बताएं और अपने दोस्तों के साथ भी जरूर शेयर करें।