नई दिल्ली: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को पूर्वी लद्दाख के रेजांग ला में एक पुनर्निर्मित युद्ध स्मारक का उद्घाटन किया, जहां भारतीय सैनिकों ने Rezang La War 1962 में चीनी सैनिकों का बहादुरी से मुकाबला किया था। रेजांग ला मे राजनाथ ने किया युद्ध स्मारक का उदघाटन, राजनाथ सिंह ने स्मारक को भारतीय सेना द्वारा प्रदर्शित दृढ़ संकल्प और अदम्य साहस का एक उदाहरण बताया। उन्होंने कहा कि यह न केवल इतिहास के पन्नों में अमर है, बल्कि हमारे दिलों में भी धड़कता है।
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रेजांग ला मे राजनाथ ने किया युद्ध स्मारक का उदघाटन, जानिए रेजांग ला की लड़ाई का इतिहास
18 नवंबर 1962 को तड़के रेजांगला पास में खून जमा देने वाली सर्दी थी। इस बीच अचानक बर्फ से ढंकी पहाड़ी से चीन ने फायरिंग शुरू कर दी। जो जगह एकदम शांत थी, तब वहां गोलीबारी हो रही थी। पीपुल्स लिब्रेशन ऑफ आर्मी यानी पीएलए के पांच से 6,000 सैनिक हथियारों और तोप के साथ लद्दाख के रेजांग ला में दाखिल हो गए थे। 13 कुमाऊं की एक टुकड़ी चुशूल वैली की रक्षा में तैनात थी और मेजर शैतान सिंह के पास बस 130 जवान थे। इन जवानों ने चीन के हजारों जवानों को देखकर भी हौंसला नहीं खोया और पूरी क्षमता के साथ चीनी दुश्मनों का सामना किया। मेजर शैतान सिंह पर गोलियों की बौछार होती रही मगर वह अपनी टीम की हौसला अफजाई करते रहे। मेजर शैतान सिंह की टीम को चार्ली कंपनी कहा गया था।
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रेजांग ला मे राजनाथ ने किया युद्ध स्मारक का उदघाटन, 16,000 फीट की ऊंचाई पर लड़ा गया था युद्ध
उन्होंने कहा कि 18,000 फीट की ऊंचाई पर लड़े गए रेजांग ला की ऐतिहासिक लड़ाई की आज भी कल्पना करना मुश्किल है। मेजर शैतान सिंह और उनके साथी सैनिकों ने आखिरी गोली और आखिरी सांस तक लड़ाई लड़ी और बहादुरी और बलिदान का एक नया अध्याय लिखा।
रेजांग ला की लड़ाई को लेकर रक्षा मंत्री ने ट्वीट कर कहा
रक्षा मंत्री ने ट्वीट किया कि उन्होंने 1962 के युद्ध में लद्दाख की दुर्गम पहाड़ियों के बीच स्थित रेजांग ला पहुंचकर अपना सर्वोच्च बलिदान देने वाले भारतीय सैनिकों को श्रद्धांजलि दी। रेजांग ला की लड़ाई को दुनिया के दस सबसे बड़े और सबसे चुनौतीपूर्ण सैन्य संघर्षों में से एक माना जाता है।
भारत का चीन के साथ तनावपूर्ण रिश्ते
पुर्नोत्थान युद्ध स्मारक को ऐसे समय में खोला गया है जब भारत और चीन पूर्वी लद्दाख में लगभग डेढ़ साल से सीमा पर गतिरोध में बंद हैं। चीन के आक्रामक रुख और भारतीय सैनिकों को डराने-धमकाने के असफल प्रयास के बाद पिछले साल अगस्त में भारतीय सेना ने रेजांग ला क्षेत्र में कई पर्वत चोटियों पर कब्जा कर लिया था। भारतीय और चीनी सेनाओं के बीच पूर्वी लद्दाख सीमा गतिरोध पिछले साल 5 मई को पैंगोंग झील क्षेत्रों में एक हिंसक झड़प के बाद भड़क गया था और दोनों पक्षों ने धीरे-धीरे हजारों सैनिकों के साथ-साथ भारी हथियारों से अपनी तैनाती बढ़ा दी थी।
आधिकारिक सूत्रों केे द्वारा ऐसा बताया जा रहा है कि स्मारक के उद्घाटन के बाद रक्षामंत्री क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीन के साथ चल रहे सीमा विवाद की पृष्ठभूमि में सेना के शीर्ष कमांडरों के साथ सुरक्षा स्थिति की समीक्षा भी करेंगे।