RBI ने एफडी के नियमों में किया बड़ा बदलाव, एक गलती पर उठाना पड़ सकता है भारी नुकसान

नई दिल्ली: बैंक के एफडी धारकों के लिए बड़ी खबर है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) ने कोरोना काल में RBI ने एफडी के नियमों में किया बड़ा बदलाव का एलान किया है। इसके तहत अब तय सीमा तक ही एफडी पर ब्याज मिलेगा। एफडी की मियाद पूरी होने से पहले उसे अनिवार्य रूप से रिन्यू कराना होगा। तभी ग्राहक को फिक्स्ड डिपॉजिट पर तय ब्याज दर का लाभ मिल पाएगा।

RBI ने एफडी के नियमों में किया बड़ा बदलाव

दरअसल, अभी तक बैंकों द्वारा फिक्स्ड डिपाजिट की मैच्‍योरिटी (मियाद) पूरी होने की दशा में यदि ग्राहक उसे रिन्यू कराने के लिए बैंक नहीं पहुंचता था, तो बैंक उसे ऑटोमैटिक (स्वत:) पूर्व अवधि के लिए रिन्यू कर देता था। इस कारण बैंक ग्राहक भी निश्चिंत रहा करते थे।

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जानिए क्या है फिक्स डिपाजिट

दरअसल फिक्स्ड डिपोजिट वह राशि है जो बैंकों में एक निश्चित अवधि के लिए तयशुदा ब्याज पर जमा करवाई जाती है। एफडी मैच्योर होने पर ब्याज की राशि जोड़कर क्लाइंट को मूलधन तथा बढ़ी हुई राशि दे दी जाती है। अब तक बहुत से भारतीय परिवारों में एफडी को आपातकालीन सेविंग्स के रूप में देखा जाता था।

RBI ने एफडी के नियमों में किया बड़ा बदलाव

परन्तु रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया द्वाारा 2 जुलाई को नया नियम जारी होने के बाद यदि राशि पर क्लेम नहीं किया तो उस पर मिलने वाले ब्याज की दर तथा राशि में परिवर्तन हो जाएगा और वह ‘बचत जमा पर देय’ ब्याज दर से हिसाब से देय होगा। ऐसे में यदि आपने एफडी मैच्योरिटी की डेट पर ध्यान नहीं दिया और सही समय पर क्लेम नहीं किया तो आपको आर्थिक नुकसान उठाना पड़ सकता है। रिजर्व बैंक का नया आदेश देश में मौजूद सभी कॉर्मशियल बैंक, स्मॉल फाइनेंस बैंक, सहकारी बैंक, स्थानीय क्षेत्रीय बैंकों पर लागू होगा।

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एक ओर कोरोना संक्रमण के खतरे को देखते हुए केंद्र सरकार से लेकर राज्य सरकार हर नागरिक से घर पर ही रहने की नसीहत दी रखी हैं, वहीं दूसरी ओर आरबीआइ अपने इस सर्कुलर के जरिए लोगों को घर से निकलने पर मजबूर कर रहा हैं। गंभीर बात यह है कि आरबीआइ का यह आदेश कोरोना काल में बुजुर्गों के लिए तगड़ा झटका है। क्योंकि देश भर में वरिष्ठ नागरिकों की एक बड़ी संख्या है, जिन्होंने सेवानिवृत्त पर मिले पैसों की बैंकों में एफडी करवा रखी है। ऐसे में अगर आरबीआइ ने अपने निर्णय में संशोधन कर राहत न दी तो इसका खामियाजा बुजुर्गों को वरिष्ठ नागरिकों को उठाना पड़ सकता है।