नई दिल्ली: 24 नवंबर (भाषा) नीति आयोग ने बुधवार को पूर्ण रूप से प्रौद्योगिकी आधारित (नीति आयोग ने डिजिटल बैंक के गठन का प्रस्ताव किया) डिजिटल बैंक गठित करने का प्रस्ताव किया। यह बैंक देश मे वित्तीय चुनौतियों को पार करने के लिये सैद्धांतिक रूप से अपनी सेवाओं के पेशकश को लेकर भौतिक शाखाओं के बजाय इंटरनेट और अन्य संबंधित चैनलों का उपयोग करेगा। आयोग ने इस संदर्भ में ‘डिजिटल बैंक भारत के लिये लाइसेंसिंग और नियामकीय व्यवस्था को लेकर प्रस्ताव’ शीर्षक से जारी परिचर्चा पत्र में यह प्रस्ताव किया है।
डिजिटल बैंक भारत के लिये लाइसेंसिंग और नियामकीय व्यवस्था को लेकर प्रस्ताव जारी
- इसमें डिजिटल बैंक लाइसेंस और नियामकीय व्यवस्था को लेकर रूपरेखा प्रस्तुत की गई है।
- पत्र में कहा गया है कि डिजिटल बैंक उसी रूप में है, जैसा कि बैंकिंग नियमन अधिनियम, 1949 (बी आर अधिनियम) में परिभाषित किया गया है।
- इसमें कहा गया है, ये संस्थाएं जमा प्राप्त करेंगी, ऋण देंगी और उन सभी सेवाओं की पेशकश करेंगी जिसका प्रावधान बैंकिंग नियमन अधिनियम में है।
- हालांकि, नाम के मुताबिक डिजिटल बैंक मुख्य रूप से अपनी सेवाओं की पेशकश करने के लिए भौतिक शाखाओं के बजाय इंटरनेट और अन्य संबंधित विकल्पों का उपयोग करेगा।’’
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नीति आयोग ने डिजिटल बैंक के गठन का प्रस्ताव किया
परिचर्चा पत्र के अनुसार, भारत का सार्वजनिक डिजिटल बुनियादी ढांचे खासकर यूपीआई (यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस) ने साबित किया है कि कैसे डिजिटल तरीके से चीजों को सुगम बनाया जा सकता है और पहुंच बढ़ाई जा सकती है।यूपीआई के जरिये लेन-देन मूल्य के हिसाब से चार लाख करोड़ रुपये को पार कर गया है। वहीं आधार सत्यापन 55 लाख करोड़ को पार कर गया है।
नीति आयोग के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) अमिताभ कांत ने परिचर्चा पत्र की भूमिका में लिखा है कि इसमें वैश्विक परिदृश्य पर गौर किया गया है और उसी के आधार पर, विनियमित संस्थाओं के रूप में डिजिटल बैंक गठित करने की सिफारिश की गयी है।उन्होंने कहा, ‘‘प्राप्त टिप्पणियों के आधार पर, परिचर्चा पत्र को अंतिम रूप दिया जाएगा और नीति आयोग की सिफारिश के रूप में साझा किया जाएगा।’’