मदर ट्रेसा, जिनका जन्म 26 अगस्त 1910 को युगोस्लाविया में हुआ था, जो एक महान हिन्दू संत महात्मा गांधी के साथी की ओर से जानी जाती हैं। उन्हें “दया की माँ” के रूप में संबोधित किया गया था। उनका असली नाम आनेज पोंटा बोजाकू था, लेकिन उन्होंने अपने जीवन को गरीबों और बेहद आवश्यकताओं के लिए समर्पित कर दिया। मदर ट्रेसा ने अपने जीवन में कई बड़े समाजसेवी कार्य किए और उन्होंने दुनियाभर में गरीबों और असहाय लोगों के प्रति अपनी अद्भुत सेवा के लिए पहचान भी बनाई है आइए जानते हैं उनसे जुड़ी कुछ रोमांचक बातें।
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मदर टेरेसा का बचपन
मदर ट्रेसा का जन्म एक सामान्य परिवार में हुआ था। वे बचपन से ही धार्मिक और उदार भावनाओं से भरपूर थीं। उनके माता-पिता ने उन्हें सदाचार, मानवता और सेवा के महत्व की शिक्षा दी। यही कारण है कि उन्होंने बचपन से ही दुनिया में सेवा का मार्ग अपनाया।
मदर टेरेसा ने सेवा की शुरुआत कब से की
मदर ट्रेसा ने सेवा की शुरुआत 18 वर्ष होते हुए भी कर दी थी, जब बो अपने घर को छोड़कर कलकत्ता आई और वहाँ के गरीब और बेहद असहाय लोगों की मदद करने का काम शुरू किया। उन्होंने एक टीबी अस्पताल में काम किया और वहाँ के मरीजों की देखभाल की। इससे उन्हें सेवा के क्षेत्र में अद्वितीय ज्ञान प्राप्त हुआ और उसमें उन्होंने अपने जीवन को समर्पित करने का निर्णय लिया।
मदर टेरेसा ने मिशनरी ऑफ चैरिटी की स्थापना कब की
मदर ट्रेसा ने 1950 में ‘मिशनरी ऑफ चैरिटी’ की स्थापना की, जिसका उद्देश्य गरीब, बेहद असहाय और बीमार लोगों की मदद करना था। उन्होंने एक अस्पताल स्थापित किया जो मुफ्त में उपचार प्रदान करता था। उनका मिशनरी कार्य विशेष रूप से उन लोगों के लिए था जो समाज में छोड़े गए और बिना किसी सहारे के थे।मदर ट्रेसा की अद्भुत सेवा ने उन्हें पूरी दुनिया में पहचान दिलाई। उन्होंने गरीबों, बीमारों और संकट में पड़े लोगों के प्रति अपना समर्पण साबित किया।
मदर ट्रेसा ने एक अद्वितीय तरीके से गरीबों की सेवा की थी। उन्होंने स्वयं को भी गरीबों के साथ एक ही स्तर पर रखा और उनके साथ समय बिताने का प्रयास किया।मदर ट्रेसा ने अपने जीवन में कई बार आपातकाल में भी अपनी सेवाएं जारी रखी। 1982 में, जब कोलकाता में भूकंप आया था, तो उन्होंने तुरंत अपने आश्रम में बेसहारा लोगों की मदद की थी। उनके द्वारा चलाए गए आश्रम ने लाखों लोगों को खाना पहुंचाया था। उन्होंने जीवन के अंतिम दिनों तक गरीबों की सेवा करते हुए गुजारे और उनके साथ खुशियाँ और दुःख साझा किए।
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मदर टेरेसा को मिलने वाले पुरस्कार
मदर ट्रेसा के कार्यों और सेवाभाव को मान्यता दिलाने के लिए उन्हें 1979 में नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया। यह पुरस्कार उनकी दया और सेवा के प्रति उनके संकल्प को साबित करता है।उनकी अनगिनत सेवाएं आज भी हमारी स्मृतियों में बाकी हैं और उनकी महानता को याद करके हमें सेवा का महत्व समझाती है।
मदर ट्रेसा के एक अनोखे किस्से
दीवार के पीछे का सच
मदर ट्रेसा के बारे में एक रोमांचक रहस्य है जो उनके मृत्यु के बाद सामने आया। उनके निधन के बाद, एक पुरानी बोर्डिंग हाउस की दीवारों के पीछे एक छोटी सी किताब मिली जिसमें उनके दिल की बातें लिखी थीं। उसमें उन्होंने अपने आत्म-संघर्ष, आत्मविश्वास की कमी, और अकेलापन के बारे में लिखा था। यह दिखाता है कि मदर ट्रेसा भी मानवता के सामान्य भागी होती थीं और उन्हें भी अपने अंदर की अशांति का सामना करना पड़ता था।
निष्कर्ष
मदर ट्रेसा की जीवनी से हमें यह सिख मिलती है कि एक व्यक्ति किस प्रकार से अपने जीवन को सेवा में समर्पित करके दुनिया में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। उनका अनुशासन, समर्पण, और दयालुता हम सभी के लिए प्रेरणा का स्त्रोत है।
इस पोस्ट को पढ़कर आपको मदर ट्रेसा के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त होने की उम्मीद है। उनके जीवन में आपको एक सच्चे सेवक की महानता और परिश्रम का प्रतिष्ठान दिखेगा, जो दुनिया को एक बेहतर स्थिति में बदलने के लिए खुद को समर्पित कर दिया।
FAQ
Q: मदर ट्रेसा का जन्म कब हुआ था?
Ans: मदर ट्रेसा का जन्म 26 अगस्त 1910 को हुआ था।
Q: मदर ट्रेसा का प्रमुख कार्यक्षेत्र क्या था?
Ans: मदर ट्रेसा का प्रमुख कार्यक्षेत्र गरीबों और असहाय लोगों की सेवा था।
Q: क्या मदर ट्रेसा को कोई पुरस्कार प्राप्त हुआ था?
Ans: हां, मदर ट्रेसा को 1979 में नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
Q: “मिशनरी ऑफ चैरिटी” क्या था?
Ans: “मिशनरी ऑफ चैरिटी” एक संगठन था जो गरीबों के लिए उपचार और सहायता प्रदान करता था, जिसकी स्थापना मदर ट्रेसा ने की थी।
Q: मदर ट्रेसा का जन्म कहाँ हुआ था?
Ans: मदर ट्रेसा का जन्म अल्बेटोन, युगोस्लाविया (अब क्रोएशिया) में हुआ था।
Q: मदर ट्रेसा ने किसे ‘मदर’ के रूप में संदर्भित किया?
Ans: मदर ट्रेसा ने गरीबों, असहाय और बेसहारे लोगों को अपनी माँ के रूप में संदर्भित किया।
Q: क्या मदर ट्रेसा ने केवल भारत में ही सेवाएं की थी?
Ans: नहीं, मदर ट्रेसा ने भारत के साथ-साथ अन्य देशों में भी सेवाएं की, जैसे कि फिलीपींस, आयरलैंड, अमेरिका आदि।
Q: मदर ट्रेसा की मृत्यु कब हुई थी?
Ans: मदर ट्रेसा का निधन 5 सितंबर, 1997 को हुआ था।
Q: मदर ट्रेसा के द्वारा स्थापित आश्रम का नाम क्या है?
Ans: मदर ट्रेसा द्वारा स्थापित आश्रम का नाम ‘निश्चय भवन’ है।