International Tiger Day 2021: आज दुनिया जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों को देख रही है जो दिन प्रतिदिन भयावह होते जा रहे हैं। इसका असर मानव जीवन से ज्यादा धरती के जानवरों पर भी हुआ है। जब भी पृथ्वी (Earth) को बचाने की बात करते हैं तो उसमें पर्यावरण (Environment) और जंगलों को बचाने की तो बात करते हैं लेकिन दुनिया में विलुप्त होती जीवों की प्रजातियों पर उनती बात नहीं होती। जीवों को बचाने में बाघ यानि शेरों को बचाने के मुहिम पर ज्यादा जोर दिया जाता है। अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस (International Tiger Day 2021) 29 जुलाई को पूरी दुनिया मना रही हैं। हम यह जानेंगे कि आखिर बाघ को इतना महत्व क्यों दिया जाता है।
International Tiger Day 2021 का इतिहास
बता दें कि दुनियाभर के मात्र 13 देशों में ही बाघ पाए जाते हैं, वहीं इसके 70 प्रतिशत बाघ केवल भारत में हैं। साल 2010 में भारत में बाघों की संख्या 1 हजार 7 सौ के करीब पहुंच गई थी। जिसके बाद लोगों में बाघों के प्रति जागरुकता फैलाने के लिए साल 2010 में रूस के सेंट पीटर्सबर्ग में एक शिखर सम्मेलन का आयोजन किया गया। जिसमें हर साल अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस मनाए जाने की घोषणा की गई। इस सम्मेलन में कई देशों ने 2022 तक बाघों की संख्या को दोगुना करने का लक्ष्य रखा है।
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International Tiger Day 2021 बाघों का महत्व
बाघ हमारी पृथ्वी के पर्यावरण के पारिस्थितिकी तंत्र में विविधता और उसकी सेहत को कायम रखने में बहुत अहम भूमिका निभाते हैं। ये शिकारी जीव खाद्य शृंखला की शीर्ष पर होते हैं। बाघों की जंगलों में जनसंख्या को काबू में रखने खास योगदान होता है। ये शाकाहारी जानवरों की संख्या को बढ़ने से रोकते हैं जिससे वनवस्पति की बेतहाशा वृद्धि नहीं होती है।लेकिन इस धरती पर मानवों की संख्या बढ़ने से हालात बहुत बदल गए। इंसानों से जंगलों को नष्ट किया और बाघों का शिकार करके उसके अंगों का व्यापार किया जिससे बाघों की संख्या में बहुत तेजी से कमी हो गई और इनके अस्तित्व तक का संकट खड़ा हो गया। मानवीय गतिविधियों के कारण बाघों का आवासीय इलाका तक कम हो गया। अब पूरे देश को बाघों को बचाने के लिए अभियान चलाने पड़ रहे हैं।
बाघों की संख्या में तेजी
अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस के जरिए लोगों को बाघ के संरक्षण के प्रति जागरूक किया जाता है। इसके अलावा लोगों को पारिस्थितिक तंत्र में बाघों के महत्व को भी बताया जाता है। जिसका परिणाम यह है कि देश में तेजी से बाघों की संख्या बढ़ रही है। साल 2010 में की गई गणना के मुताबिक बाघों की संख्या 1706 थी, वहीं साल 2018 की गणना के अनुसार देश में बाघों की संख्या बढ़कर 2967 हो गई है।
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फिलहाल देशभर में बाघों की संख्या तेजी से बढ़ने के साथ ही उनके ऑक्युपेंसी एरिया भी बढ़ रहा है। एक रिपोर्ट के मुताबिक देश में केरल, उत्तराखंड, बिहार और मध्यप्रदेश में बाघों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। बता दें कि देशभर में बाघों की जनगणना हर चार साल में होती है। जिससे उनकी ग्रोथ रेट का पता लगाया जाता है। साल 1973 में देशभर में मात्र 9 टाइगर रिजर्व ही थे, जिसकी संख्या अब बढ़कर 51 हो गई है।