First IAS Officer Of India: देश में आज सर्वश्रेष्ठ नौकरी की बात करें तो IAS और IPS के नाम ही सबसे पहले आते हैं। देश के लाखों छात्रों का सपना सिविल सर्विस का एग्जाम (Civil Service Exam) पास करना होता है। हर साल हजारों छात्र छात्राएं परीक्षा में बैठते हैं, कुछ की उम्मीदों को पंख लगते हैं, तो कोई फिर से प्रयास के लिए जुट जाता है लेकिन क्या आप जानते हैं Who Was The First IAS officer Of India कौन था, जिसने इस मुश्किल परीक्षा को पास किया था। आखिर क्यों नौकरी के लिए इस परीक्षा की जरूरत पड़ी और इसकी शुरुआत कैसे हुई आइए आज हम इस आर्टिकल के माध्यम से जानेंगे।
भारत के पहले आईएएस ऑफिसर कौन थे – First IAS Officer Of India
हम बात कर रहे हैं सत्येंद्रनाथ टैगोर की जी हां देश के पहले आईएएस ऑफिसर जिनका जन्म 1 जून 1842 को कोलकाता में जोरासांको के टैगोर परिवार में महर्षि देबेंद्रनाथ टैगोर और शारदा देवी के यहाँ हुआ था। उनकी पत्नी ज्ञानदानंदिनी देवी थीं। उनके एक बेटा और एक बेटी सुरेंद्रनाथ टैगोर और इंदिरा देवी चौधुरानी थीं। वह प्रेसीडेंसी कॉलेज के स्टूडेंट रहे थे। वह भारतीय सिविल सेवा (ICS) के पहले भारतीय अधिकारी थे। वह 1864 में इस सेवा में शामिल हुए थे।
इसे भी पढ़ें: अव गूगल मैप से आसपास के सरकारी अस्पताल और स्वास्थ्य केंद्र का चलेगा पता, जाने पूरी जानकारी
सत्येंद्रनाथ टैगोर कोलकाता, पश्चिम बंगाल के एक भारतीय बंगाली सिविल सेवक, कवि, संगीतकार, लेखक, समाज सुधारक और भाषाविद थे। वह पहले भारतीय थे जो 1863 में एक भारतीय सिविल सेवा अधिकारी बने, वह ब्रह्मो समाज के सदस्य भी थे।
भारत में सिविल सर्विसेज एग्जाम की शुरुआत कब हुई?
भारत में जब सिविल सर्विसेज एग्जाम की शुरुआत हुई उस वक्त ईस्ट इंडिया कंपनी का राज चलता था। वो साल था 1854. पहले जिन कैंडिडेट्स को सिविल सर्विसेज के लिए सेलेक्ट किया जाता था उन्हें ट्रेनिंग के लिए लंदन के हेलीबरी कॉलेज में भेजा जाता था। ईस्ट इंडिया कंपनी के लिए काम करने वाले सिविल सर्वेंट को पहले कंपनी के डायरेक्टर्स द्वारा नामित किया जाता था। बाद में इस प्रक्रिया पर सवाल उठने लगे। ब्रिटिश संसद की सेलेक्ट कमेटी की लॉर्ड मैकाउले रिपोर्ट में एक प्रस्ताव पेश किया गया। इसमें भारत में सिविल सर्विस में सेलेक्शन के लिए मेरिट बेस एग्जाम कराने की सिफारिश की गई।
इस उद्देश्य के लिए 1854 में लंदन में सिविलश सर्विस कमीशन का गठन किया गया। इसके अगले साल परीक्षा की शुरुआत हो गई। जब यह एग्जाम शुरू किया गया तो इसके लिए न्यूनतम आयु 18 साल और अधिकतम आयु महज 23 साल ही थी।
इसे भी पढ़ें: ट्रेन में ऑनलाइन खाना ऑर्डर कैसे करें , जाने WhatsApp से ऑर्डर करने का स्टेप बाय स्टेप प्रोसेस
खासतौर से भारतीयों को फेल करने के लिए एक अलग सिलेबस तैयार किया गया। उसमें यूरोपीय क्लासिक के लिए ज्यादा नंबर रखे गए। अंग्रेज नहीं चाहते थे कि इंडियन इस एग्जाम को पास करें। शुरुआत में अंग्रेज इस चाल में कामयाब रहे लेकिन ज्यादा लंबे समय तक नहीं रह पाए।
साल 1864 में पहली बार किसी भारतीय ने यह एग्जाम पास किया। सत्येंद्रनाथ टैगोर (Satyendranath Tagore) नें इस परीक्षा को पास किया था। वह महान रबिंद्रनाथ टैगोर (Rabindaranath Tagore) के भाई थे। अब यहां से सिलसिला शुरू हो गया था। 3 साल के बाद 4 भारतीयों ने एक साथ फिर सिविल सर्विस एग्जाम पास किया। यह एग्जाम पहले भारत में नहीं होता था। मगर भारतीयों के लगातार प्रयास और याचिकाओं के बाद आखिरकार उन्हें झुकना पड़ा। प्रथम विश्व युद्ध के बाद 1922 से यह परीक्षा भारत में होनी शुरू हुई.