Engineers day : भारत में हर साल 15 सितंबर को अभियंता दिवस (इंजीनियर्स डे) के रूप में मनाया जाता है। दरअसल, इसी दिन भारत के महान अभियंता और भारत रत्न मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया ( Mokshagundam Visvesvaraya) का जन्मदिन है। वह भारत के महान इंजीनियरों में से एक थे। उन्होंने ही आधुनिक भारत की रचना की और देश को एक नया रूप दिया। उन्होंने इंजीनियरिंग के क्षेत्र में असाधारण योगदान दिया है, जिसे शायद ही कोई भुला पाए। देशभर में बने कई नदियों के बांध और पुल को कामयाब बनाने के पीछे सर विश्वेश्वरय्या जी का बहुत बड़ा योगदान रहा है। उन्हीं की वजह से देश में पानी की समस्या दूर हुई थी। आइए जानते हैं (Engineers Day) इंजीनियर्स डे क्या है या अभियन्ता दिवस कब और क्यों मनाया जाता है, निबंध, शायरी, इंजीनियर्स डे का महत्व क्या है (Engineer’s Day Date, Celebration, Shayari in Hindi)
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इंजिनियर्स डे क्या है (अभियन्ता दिवस) (Engineer’s Day in Hindi)
अगर हम पीछे मुड़कर इतिहास को याद करे, तो हमें होने वाले बदलावों का अहसास हो जाएगा। अभी से लगभग 18 वर्ष पहले एक टेलीफोन की जगह लोगो के हाथों में मोबाइल फोन आये थे, जिसमे वो कॉल और एस एम एस के जरिये दूरदराज रहने वाले अपनों के और भी करीब हो गये। वहीँ कुछ वक्त बीतने पर यह मोबाइल फोन, स्मार्ट फ़ोन में बदल गया। इसके साथ-साथ आज दुनियाँ मुट्ठी में आ गई है। अपनों से बात करने से लेकर बिल भरना, शॉपिंग करना, बैंक के काम आदि कई काम एक स्मार्ट फोन के जरिये संभव हो पाये। और ऐसे परिवर्तन हर कुछ मिनिट में बदलकर और बेहतर रूप लेते जा रहे हैं, इस तरह के विकास का श्रेय इंजिनियर्स को जाता हैं। इसके साथ-साथ और भी कई क्षेत्रों में बड़े-बड़ेेे विकास हुए जिसका पूरा श्रेय इंजीनियर्स को जाता है।
Engineers Day इंजीनियर डे का इतिहास (15 September engineers day)
भारत सरकार द्वारा साल 1968 में मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया की जन्मतिथि को ‘इंजीनियर्स दिवस‘(Engineers day) घोषित किया गया था। उसके बाद से हर साल 15 सितंबर को इंजीनियर्स दिवस मनाया जाता है। दरअसल, 15 सितंबर 1860 को विश्वेश्वरैया का जन्म मैसूर (कर्नाटक) के कोलार जिले में हुआ था।
एक इंजीनियर के रूप में मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया ने देश में कई बांध बनवाए हैं, जिसमें मैसूर में कृष्णराज सागर बांध, पुणे के खड़कवासला जलाशय में बांध और ग्वालियर में तिगरा बांध आदि महत्वपूर्ण हैं। सिर्फ यही नहीं, हैदराबाद सिटी को बनाने का पूरा श्रेय विश्वेश्वरैया जी को ही जाता है। उन्होंने वहां एक बाढ़ सुरक्षा प्रणाली तैयार की थी, जिसके बाद पूरे भारत में उनका नाम हो गया। उन्होंने समुद्र कटाव से विशाखापत्तनम बंदरगाह की सुरक्षा के लिए एक प्रणाली विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
Engineers Day Date इंजीनियर्स डे कब मनाया जाता है?
इंजीनियर्स डे Engineers Day Date 2021 भारत के महान इंजीनियर मोक्षमुंडम विश्वेश्वरैया जी को समर्पित है और भारत में हर वर्ष इनके जन्मदिन पर इंजीनियर डे मनाया जाता है। मोक्षमुंडम विश्वेश्वरैया जी का जन्म 15 सितंबर 1860 को भारत के मैसूर में हुआ था जो आज कर्नाटका राज्य बन गया है। इसलिए पुरे भारतवर्ष में 15 सितंबर को इंजीनियर्स डे के रूप में मनाया जाता है।
इन्हें एक अच्छे इंजीनियर के रूप में कार्य करने हेतु वर्ष 1955 में भारतरत्न से सम्मानित किया गया था। भारत देश के बड़े इंजीनियर्स का भारत के विकास में बहुत बड़ा योगदान रहा है और अभी भी बहुत से इंजीनियर अपना वर्तमान में योगदान दे रहें हैं, यह दिन सभी इंजीनियर्स के सम्मान के लिए मनाया जाता है।
इंजीनियर्स दिवस क्यों मनाया जाता है (Why We Celebrate Engineers Day)
इंजीनियर्स दिवस हमारे देश के प्रसिद्ध इंजीनियर सर मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया mokshagundam visvesvaraya के याद में मनाया जाता है और ये दिन मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया के बर्थड़े का दिन है।
इन दिन को मनाने का लक्ष्य हमारे देश के युवाओं को इंजीनियरिंग के करियर के प्रति प्रेरित करना है और जिन इंजीनियरों ने हमारे देश के उत्थान में अपना योगदान दिया गया है उनकी सराहना करना है।
इंजीनियर्स डे का महत्व (Engineer’s Day ka mahatva kya hai)
भारत इंजीनियरिंग एवं आईटी के क्षेत्र में दुनिया का अग्रणी देश माना जाता है। भारत में बहुत सारे इंजीनियरिंग संस्थाएं हैं और इंजीनियरिंग के बहुत सारे कोर्स भी हैं। किसी भी देश को विकसित बनाने में इंजीनियर्स की मुख्य भूमिका रहती है। इंजीनियर्स को आधुनिक समाज की रीढ़ माना जाता है। बिना इंजीनियर के किसी भी देश का विकास असंभव है। (Happy Engineers Day)
इंजीनियर्स डे Engineers day 2024 हर वर्ष में एक बार आकर बार बार दुनिया को जताता है कि इंजीनियर हमारे लिए कितने महत्वपूर्ण हैं और वे सम्मान के हकदार है। साथ ही सभी लोगों को इस कार्यक्षेत्र में आकर अपना योगदान देने के लिए प्रेरित करता है। इंजीनियर्स डे सिर्फ मोक्षमुंडम विश्वेश्वरैया और सभी इंजीनियर के सम्मान का दिवस तो है ही साथ ही यह दिवस सभी छात्रों को जताता है कि इंजीनियरिंग के क्षेत्र में आप अपना करियर बना कर आप देश को विकसित करने में बाकी इंजीनियर्स की तरह अपना योगदान दे सकते हैं।
इस दिन का महत्व मोक्षमुंडम विश्वेश्वरैया के योगदानो के कारण और भी बढ़ जाता है। मोक्षमुंडम विश्वेश्वरैया जी के कुछ तकनीक विदेशों में भी उपयोग में लाये जा रहे हैं। मोक्षमुंडम विश्वेश्वरैया जी का जन्मदिवस सभी इंजीनियर्स और इंजीनियरिंग क्षेत्र में अपना करियर बना रहे छात्रों को अपना योगदान देने के लिए प्रेरित करता है।
इंजिनियर डे सेलिब्रेशन (Engineers Day 2024 Celebration)
इंजिनियर डे Engineers day 2024 के दिन सभी इंजिनियर को बधाई दी जाती है। इंजीनियरिंग कॉलेज, ऑफिस में कार्यक्रम आयोजित की जाती है। आजकल बधाई देने के लिए सोशल मीडिया, फ़ोन का उपयोग सबसे ज्यादा होता है। लोग एक दुसरे को मेसेज भेजते है, कविता शायरी शेयर की जाती है। विश्वेश्वरैया जी को याद करके, कार्यक्रम आयोजन किया जाता है।
इंजीनियर्स डे (Happy Engineers Day in hindi)
वही साल 2024 में इंजीनियर्स दिवस पर मोक्षगुंडम विश्वेश्या का 163 वां जन्म दिवस समारोह आयोजन किया जाएगा। Engineers day पर इस दिन को लेकर कई इंजीनियरिंग कॉलेजों द्वारा कई प्रकार के कार्यक्रम आयोजित किए जायेंगे।
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दुनिया के अन्य क्षेत्र में इंजिनियर डे (Engineers Day in World)
देश तारीख
अर्जेंटीना 16 जून
बांग्लादेश 7 मई
बेल्जियम 20 मार्च
कोलंबिया 17 अगस्त
आइसलैंड 10 अप्रैल
ईरान 24 फ़रवरी
इटली 15 जून
मैक्सिको 1 जुलाई
पेरू 8 जून
रोमानिया 14 सितम्बर
तुर्की 5 दिसम्बर
इंजीनियर्स डे शायरी (Engineers Day shayari in hindi)
किताबें खुली हो या हो बन्द
पढ़ाई देर रात होती है,
कैसे कहूं मैं ओ यारा ये
इंजीनियरिंग में ऐसा होता है।
दुख तब नहीं होता
जब दोस्त फेल हो जाये
दुख तब होता है जब
दोस्त टॉप कर जाये
इंजीनियरिंग ये होती है यारा
जो फ़ैल होने पर हँसता हैं
जो रात में जागता दिन में सोता हैं
उल्लू नही हैं यारो
आज के टाइम में इंजिनियर कहलाता हैं
दिलों में अपनी बेताबियां,
नज़र में खव्वाबों की बिजलियां और
4-5 बैकलॉग लेकर चल रहे हो
तो इंजीनियर हो तुम,
हैप्पी इंजीनियर्स डे
हर रात भर जागने वाला आशिक नहीं,
क्या पता कल इंजीनियर्स का एग्जाम हो।
मोक्षगुंडम विश्वेश्वरय्या कौन है (Mokshagundam visvesvaraya kaun hai)
सर मोक्षगुंडम विश्वेश्वरय्या की जीवनी वो देश के बड़े इंजीनियर और जानकार रहे हैं। भारत में उनका जन्मदिन, 15 सितंबर 1960 को हुआ था, जिसे अभियन्ता दिवस (इंजीनियर्स डे) के रूप में मनाया जाता है। वो मैसूर के 19वें दीवान थे जिनका कार्यकाल साल 1912 से 1918 के बीच रहा। उन्हें न सिर्फ़ 1955 में भारत रत्न की उपाधि से सम्मानित किया गया बल्कि सार्वजनिक जीवन में योगदान के लिए किंग जॉर्ज पंचम ने उन्हें ब्रिटिश इंडियन एम्पायर के नाइट कमांडर से भी नवाज़ा गया।
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वो मांड्या ज़िले में बने कृष्णराज सागर बांध के निर्माण के मुख्य स्तंभ माने जाते हैं और उन्होंने हैदराबाद शहर को बाढ़ से बचाने का सिस्टम भी दिया।विश्वेश्वरय्या के पिता संस्कृत के जानकार थे। वो 12 साल के थे जब उनके पिता का निधन हो गया। शुरुआती पढ़ाई चिकबल्लापुर में करने के बाद वो बैंगलोर चले गए जहां से उन्होंने 1881 में बीए डिग्री हासिल की। इसके बाद पुणे गए जहां कॉलेज ऑफ़ इंजीनियरिंग में पढ़ाई की। उन्होंने बॉम्बे में पीडब्ल्यूडी से साथ काम किया और उसके बाद भारतीय सिंचाई आयोग में गए।
जीवन परिचय विश्वेश्वरैया जीवन परिचय
पूरा नाम मोक्षमुंडम विश्वेश्वरैया
जन्म 15 सितम्बर, 1960
जन्म स्थान मुद्देनाहल्ली गाँव, कोलर जिला, कर्नाटक
माता का नाम वेंकचाम्मा
पिता का नाम श्रीनिवास शास्त्री
मृत्यु 14 अप्रैल 1962
मोक्षमुंडम विश्वेश्वरैया का भारत में योगदान
दक्षिण भारत के मैसूर को एक विकसित और समृद्धशाली क्षेत्र बनाने में उनकी अहम भूमिका रही है। तब कृष्णराज सागर बांध, भद्रावती आयरन एंड स्टील वर्क्स, मैसूर संदल ऑयल एंड सोप फ़ैक्टरी, मैसूर विश्वविद्यालय, बैंक ऑफ़ मैसूर समेत कई संस्थान उनकी कोशिशों का नतीजा हैं।
इन्हें कर्नाटक का भगीरथ भी कहा जाता है। वो 32 साल के थे, जब उन्होंने सिंधु नदी से सुक्कुर कस्बे को पानी भेजने का प्लान तैयार किया, जो सभी इंजीनियरों को पसंद आया।
सरकार ने सिंचाई व्यवस्था दुरुस्त बनाने के लिए एक समिति बनाई जिसके तहत उन्होंने एक नया ब्लॉक सिस्टम बनाया।
उन्होंने स्टील के दरवाज़े बनाए जो बांध से पानी के बहाव को रोकने में मदद करते थे।
उनके इस सिस्टम की तारीफ़ ब्रिटिश अफ़सरों ने भी की विश्वेश्वरय्या ने मूसी और एसी नामक दो नदियों के पानी को बांधने के लिए भी प्लान बनाया। इसके बाद उन्हें मैसूर का चीफ़ इंजीनियर नियुक्त किया गया।
वो उद्योग को देश की जान मानते थे, इसीलिए उन्होंने पहले से मौजूद उद्योगों जैसे सिल्क, चंदन, मेटल, स्टील आदि को जापान व इटली के विशेषज्ञों की मदद से और अधिक विकसित किया।
उन्होंने बैंक ऑफ मैसूर खुलवाया और इससे मिलने वाले पैसे का उपयोग उद्योग-धंधों को बढ़ाने में किया गया। 1918 में वो दीवान पद से सेवानिवृत्त हो गए।
विश्वेश्वरैया जी का व्यक्तित्व (Visveswaraya Personality)
एम् विश्वेश्वरैया जी बहुत साधारण तरह के इन्सान थे।वो एक आदर्शवादी, अनुशासन वाले व्यक्ति थे।
वे शुध्य शाकाहारी और नशा से बहुत दूर रहते थे।
विश्वेश्वरैया जी समय के बहुत पाबंद थे, वे 1 min भी कही लेट नहीं होते थे।
वे हमेशा साफ सुथरे कपड़ों में रहते थे। उनसे मिलने के बाद उनके पहनावे से लोग जरुर प्रभावित होते थे।वे हर काम को परफेक्शन के साथ करते थे। यहाँ तक की भाषण देने से पहले वे उसे लिखते और कई बार उसका अभ्यास भी करते थे।
वे एकदम फिट रहने वाले इन्सान थे। 92 साल की उम्र में भी वे बिना किसी के सहारे के चलते थे, और सामाजिक तौर पर एक्टिव रहते थे।
अपने काम से उन्हें बहुत लगाव था।
उनके द्वारा शुरू की गई बहुत सी परियोजनाओं के कारण भारत आज गर्व महसूस करता है, उनको अगर अपने काम के प्रति इतना दृढ विश्वास एवं इक्छा शक्ति नहीं होती तो आज भारत इतना विकास नहीं कर पाते।
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सर मोक्षगुंडम विश्वेश्वरय्या का एक मशहूर किस्सा
उनसे जुड़ा एक ऐसा क़िस्सा जो काफी मशहूर है। ब्रिटिश भारत में एक रेलगाड़ी चली जा रही थी जिसमें ज़्यादातर अंग्रेज़ सवार थे। एक डिब्बे में एक भारतीय मुसाफिर गंभीर मुद्रा में बैठा था। सांवले रंग और मंझले कद का वो मुसाफ़िर सादे कपड़ों में था और वहां बैठे अंग्रेज़ उन्हें मूर्ख और अनपढ़ समझकर मज़ाक उड़ा रहे थे, पर वो किसी पर ध्यान नहीं दे रहे थे।
लेकिन अचानक उस व्यक्ति ने उठकर गाड़ी की जंज़ीर खींच दी। तेज़ रफ्तार दौड़ती ट्रेन कुछ ही पलों में रुक गई। सभी यात्री चेन खींचने वालों को भला-बुरा कहने लगे। थोड़ी देर में गार्ड आ गया और सवाल किया कि जंज़ीर किसने खींची।
उस व्यक्ति ने उत्तर दिया, ‘मैंने’ वजह पूछा तो उन्होंने बताया, ”मेरा अंदाज़ा है कि यहां से लगभग कुछ दूरी पर रेल की पटरी उखड़ी हुई है।’
गार्ड ने पूछा, ‘आपको कैसे पता चला?’ वो बोले, ‘गाड़ी की स्वाभाविक गति में अंतर आया है और आवाज़ से मुझे खतरे का आभास हो रहा है।’
गार्ड उन्हें लेकर जब कुछ दूर पहुंचा तो देखकर दंग रह गया कि वास्तव में एक जगह से रेल की पटरी के जोड़ खुले हुए हैं और सब नट-बोल्ट अलग बिखरे पड़े हैं।
एम् विश्वेश्वरैया जी अवार्ड (Mokshagundam visvesvaraya award)
स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद 1955 में विश्वेश्वरैया जी को भारत के सबसे बड़े सम्मान ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया गया था।
लन्दन इंस्टीट्यूशन सिविल इंजीनियर्स की तरफ से भी विश्वेश्वरैया जी को सम्मान दिया गया था।
इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ साइंस की तरह से भी विश्वेश्वरैया जी को सम्मानित किया गया।
विश्वेश्वरैया जी कर्नाटका के सबसे प्रसिद्ध लोगों में से एक है।
इसके अलावा देश के आठ अलग अलग इंस्टिट्यूट के द्वारा उन्हें डोक्टरेट की उपाधि दी गई।
विश्वेश्वरैया जी के 100 साल के होने पर भारत सरकार ने उनके सम्मान में स्टाम्प निकाला।