नई दिल्ली: त्योहारों का मौसम शुरू होने वाला है। जिसमें लोग दिल खोलकर खरीदारी करते हैं। ऐसे में ऑनलाइन शॉपिंग पर लोगों को ज्यादा ध्यान रहता है। ऐसे में ऑनलाइन शॉपिंग के लिए अमेजॉन फ्लिपकार्ट कंपनियों के बीच फेस्टिवल सेल और डिस्काउंट की रेस शुरू हो जाएगी। कंपनियां ग्राहकों को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए कई तरह के मार्केटिंग प्लान करती है।
ऐसे में कंपनियां ग्राहकों को ईएमआई भी देती है। जिसे जीरो कॉस्ट ईएमआई भी कहा जाता है। कंपनी आपको बताती है, कि कोई सामान खरीदने पर 6 महीने या 12 महीने की नो कॉस्ट ईएमआई कराएंगे। आपको उस सामान पर ब्याज नहीं देना होगा। कोई भी सामान लेने पर ग्रहक को पूरा पैसा नहीं लगाना पड़ता है। ऐसे में ईएमआई एक अच्छा साधन है। जिससे ग्राहक आसानी से कोई भी सामान खरीद सकता है, और उसका पैसा ईएमआई के जरिए जमा कर सकता है।
आइए जानते हैं नो कॉस्ट ईएमआई क्या है, और काम कैसे करता है।
जब भी आप कोई प्रोडक्ट खरीदते हैं, तो उस पर लिखा होता है, नो कॉस्ट ईएमआई इसका मतलब है। उस प्रोडक्ट का जो भी कीमत है। आपको उसी का ईएमआई जमा करना होता है। आपसे कोई और चार्ज नहीं लिया जाएगा। जैसे आप कोई मोबाइल खरीद रहे हैं। उसकी कीमत 12 हजार रुपया है, तो आपको 12 हजार के मोबाइल को अपने क्रेडिट कार्ड से पेमेंट करना होगा, और नो कॉस्ट ईएमआई के जरिए उसे 12 महीने की ईएमआई में कन्वर्ट करना होगा।
जिसके हर महीने आपको एक हजार रुपया देना होगा। उसमें आपको कोई अलग से पैसे नहीं देने होते हैं। लेकिन नो कॉस्ट ईएमआई के लिए एक शर्त है। इसके लिए आपके पास क्रेडिट कार्ड होना जरूरी है। अगर आपके पास क्रेडिट कार्ड नहीं है, तो आप नो कॉस्ट ईएमआई का फायदा नहीं उठा सकते हैं।
आइए जानते हैं, नो कॉस्ट ईएमआई से बैंक को और कंपनी को क्या फायदा होता है।
बैंक को इससे यह फायदा होता है, कि इस ऑफर को लेने के लिए लोगों को क्रेडिट कार्ड इस्तेमाल करना होता है। जैसे ही आप क्रेडिट कार्ड इस्तेमाल करते हैं। बैंक उसका बिल जनरेट करता है। बिल जेनरेट के साथ-साथ वह कुछ ना कुछ चार्ज भी लगा देता है तो इससे बैंक को भी फायदा होता है।
ईएमआई ब्याज की रकम वसूली प्रोसेसिंग फीस के रूप में कर ली जाती है। इस स्कीम से ग्राहक किस्त में पैसा जमा करते है, और कोई एक्स्ट्रा पैसे देने की जरूरत नहीं होती है। इससे ग्रहक को भी फायदा होता है। इस स्कीम से कंपनी को भी बहुत बड़ा फायदा है। वो ऐसे प्रोडक्ट पर नो कॉस्ट ईएमआई लगाती है, जो नहीं बिक रहा है। इससे कंपनी का सामान भी बिक जाता है।