Earth’s Spin Mysteriously Slows down 2021: धरती (Earth) की अपनी धुरी पर घूमने की रफ्तार रहस्यमय तरीके से धीमी हो जाने से वैज्ञानिक हैरान हैं। धरती की इस रफ्तार ने वैज्ञानिकों की चिंता बढ़ा दी है और उन्हें किसी अनहोनी की आशंका सता रही है। इससे पहले साल 2020 में वैज्ञानिकों ने पाया था कि पृथ्वी की धुरी पर घूमने की रफ्तार सामान्य से ज्यादा तेज हो गई। पृथ्वी के तेज गति से घूमने की रफ्तार इस साल के पहले 6 महीने तक जारी रही। हालांकि अब इसमें फिर से बदलाव आ गया है। अब पृथ्वी अपनी धुरी पर सामान्य से धीमा घूम रही है।
पृथ्वी की रफ्तार में बदलाव Earth’s Spin Mysteriously Slows down 2021
जानकारी के अनुसार, औसतन पृथ्वी अपनी धुरी पर अपना एक चक्कर पूरा करने में 24 घंटे या फिर 86,400 सेकंड लेती है। वैज्ञानिक परमाणु घड़ी की मदद से समय पर पूरी नजर रखते हैं।
परमाणु घड़ी की मदद से पृथ्वी की रफ्तार में आने वाले बदलाव का भी पता चल जाता है। इसके बाद वैज्ञानिक अंतर को बराबर करने के लिए लीप सेकंड जोड़ते हैं या घटाते हैं। इससे पहले कभी ‘निगेटिव लीप सेकंड’ को समय में जोड़ा नहीं गया है, लेकिन 1970 से अब तक 27 बार एक सेकंड को बढ़ाया जरूर गया है जब धरती ने 24 घंटे से ज्यादा का वक्त एक चक्कर पूरा करने में लगाया हो।
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1960 के बाद से अटॉमिक घड़ियां दिन की लंबाई का सटीक रिकॉर्ड रखती आई हैं। इस तरह से प्रत्येक 18 महीने में एक लीप सेकंड को जोड़ा गया। इनके मुताबिक 50 साल में धरती ने अपने ऐक्सिस पर घूमने में 24 घंटे से कम 86,400 सेकंड का वक्त लगाया है।
हालांकि, 2020 के बीच में यह पलट गया और एक दिन पूरा होने में 86,400 सेकंड से कम का वक्त लगा। जुलाई 2020 में दिन 24 घंटे से 1.4602 मिलीसेकंड छोटा था जो अब तक का सबसे छोटा दिन था।
धरती पर पृथ्वी की रफ्तार में बदला से क्या होगा असर ?
समय में हो रहे इस बदलाव के बड़े स्तर पर कई असर हो सकते हैं। सैटलाइट और संपर्क उपकरण सोलर टाइम के हिसाब से काम करते हैं जो तारों, चांद और सूरज की स्थिति पर निर्भर होता है। इसे बरकरार रखने के लिए पेरिस की इंटरनैशनल अर्थ रोटेशन सर्विस पहले लीप सेकंड जोड़ती रहती थी। नासा के वैज्ञानिकों का मानना है कि धरती के घूमने की रफ्तार कम होने से बड़े भूकंप आ सकते हैं।
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पृथ्वी की रफ्तार में बदलाव से बड़े भूकंप आने का खतरा
नासा के वैज्ञानिकों के मुताबिक, धरती के घूमने की रफ्तार कम होने से बड़े भूकंप आने का खतरा है। जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी के सोलर सिस्टम एम्बेसडर मैथ्यू फुन्के के मुताबिक, चंद्रमा का गुरुत्वाकर्षण पृथ्वी पर एक ज्वारीय उभार बनाता है। यह उभार भी धरती की घूमने की गति से ही घूमने का प्रयास करता है. इससे धरती की अपनी धुरी पर घूमने की रफ्तार सुस्त पड़ जाती है. वैज्ञानिकों का मानना है कि धरती की घूमने की गति या अपनी धुरी पर घूमने की गति सुस्त पड़ने से भूकंपीय घटनाएं बढ़ जाती है.