China: चीन के वैज्ञानिक ने नकली सूरज बनाने में सफलता हासिल कर ली है। यह ऐसा परमाणु फ्यूजन है जो असली सूरज से कई गुना ज्यादा शक्तिशाली है। इसकी जानकारी शुक्रवार को चीन के सरकारी मीडिया ने दी। इस प्रोजेक्ट पर कई सालों से काम चल रहा था। China का नकली सूरज के प्रोजेक्ट की कामयाबी ने चीन को विज्ञान की दुनिया में सबसे ऊपर मुकाम पर पहुंचा दिया है जहां अब तक कोई नहीं पहुंच सका है। ये असली सूरज से कई गुना ज्यादा उर्जा देगा। China का नकली सूरज के प्रोजेक्ट की कामयाबी में चीन अमेरिका जापान जैसे विकसित देशों को भी पीछे छोड़ निकला है। आइए जानते हैं इसकी शक्ति और विशेषता के बारे में।
चीन की स्पेस एजेंसी ने बताया कि मंगलवार को चांद पर चीनी रोबोट स्पेसक्राफ्ट चांग ई-5 ने चीनी झंडे को लगाया गया। इसकी तस्वीर भी कैमरे में ली गई है। बीते 50 सालों के बाद यह पहला मौका है जब अमेरिका के बाद किसी देश ने चीन की सतह पर अपना झंडा लहराया है। स्पेसक्राफ्ट चांग ई-5 चांद की सतह से नमूने इकट्ठा कर धरती की ओर आ रहा है। चांद से मिट्टी लाने वाला चीन तीसरा देश बना है।https://www.fastkhabre.com/pm-kusum-yojana-2020/
Table of Contents
सिचुआन में हुआ इसका निर्माण
चीन के सिचुआन प्रांत में स्थित इस रिएक्टर को अक्सर कृत्रिम सूरज कहा जाता है। इसमें असली सूरज की तरह प्रचंड गर्मी और बिजली पैदा कर सकता है। एक चीनी मीडिया के मुताबिक न्यूक्लियर फ्यूजन एनर्जी का विकास चीन की सामरिक ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के साथ-साथ चीन इकोनामी के सतत विकास करने में सहायक सिद्ध होगा।
China का नकली सूरज बनाने में न्यूक्लियर काॅपोरेशन का रिसर्च सफल
चीन की एक रिपोर्ट के अनुसार इस प्रोजेक्ट की शुरुआत वर्ष 2006 में हुई थी। चीन ने कृत्रिम सूरज को HL-2M नाम दिया है। इस चाइना नेशनल न्यूक्लियर कारपोरेशन के साथ साउथवेस्टर्न इंस्टिट्यूट ऑफ फिजिक्स के वैज्ञानिक ने मिलकर किया है इ। प्रोजेक्ट का उद्देश्य ये भी था कि प्रतिकूल मौसम में भी सोलर एनर्जी को बनाया जा सके।
China का नकली सूरज बनाने में लगा लागत
इस प्रोजेक्ट में ITER की कुल लागत 22.5 बिलियन डॉलर है। दुनिया के कई देशों के वैज्ञानिक इसको बनाने की कोशिश कर रहे थे पर गर्म प्लाज्मा को एक जगह रखना और उसे फ्यूजन तक उसी हालत में रखना सबसे बड़ी परेशानी खड़ी कर रही थी।
China नकली सूरज के शक्ति के बारे में
इस कृत्रिम सूरज की कार्यप्रणाली में एक शक्तिशाली चुंबकीय क्षेत्र का उपयोग किया जाता है। जिसमें इस दौरान यह 150 मिलियन यानी 15 करोड़ डिग्री सेल्सियस का तापमान हासिल कर सकता है। चीन का दावा है कि यह असली सूरज की तुलना में दस गुना ज्यादा गर्म है। असली सूरज का तापमान लगभग 15 डिग्री सेल्सियस है। धरती पर मौजूद न्यूक्लियर रिएक्टर्स की बात करें तो यहां ऊर्जा उत्पन्न करने के लिए विखंडन प्रक्रिया का इस्तेमाल होता है। ये तब हो जाता है जब गर्मी परमाणुओं को विभाजित कर उत्पन्न होती है। परमाणु का संलयन असल में सूरज पर होता है। इसी आधार पर चीन का एच एल-2एम बनाया गया है।