चीन और 14 अन्य देशों ने विश्व के सबसे बड़े व्यापारिक गुट के गठन पर सहमति जताई है। जिसके दायरे में लगभग एक तिहाई आर्थिक गतिविधियां आएगी। एशिया के कई देशों ने ऐसी उम्मीद जताई है, कि इस समझौते से करोना महामारी की मार से तेजी से उबरने में काफी मदद मिलेगी।
बता दें कि मलेशिया के अंतरराष्ट्रीय व्यापार और उद्योग मंत्री मोहम्मद आजमीन अली ने कहा कि 8 साल की कड़ी मेहनत से इन देशों में व्यापार ठीक होता दिखाई दे रहा है। इस करार के बाद सदस्य देशों के बीच व्यापार पर शुल्क और नीचे आएगा।जो पहले ही काफी निचले स्तर पर है।
कंपनियों के लिए
भारत के अलावा इस डील में दुनिया की 2.1 अरब आबादी शामिल होगी। सदस्य देशों की जीडीपी पूरी दुनिया की जीडीपी की 30 फीसदी होगी। ऐसा कहा जा रहा है, कि इस डील से मूल्य कटौती में मदद मिलेगी, और कंपनियों के लिए कारोबार का रास्ता भी खुल जाएगा। अब सदस्य देशों की कंपनियां दूसरे देशों से आसानी से अपने उत्पाद निर्यात कर सकेगी।
10 देशों के अलावा और कितने देश होंगे शामिल
व्यापार में समझौते का संकेत देता है, कि RCEP देशो में इस मुश्किल वक्त में कोई संरक्षणवादी कदम उठाने के बजाय अपने बाजारों को खोलने का फैसला किया है। इस समझौते में 10 देशों के अलावा चीन, जापान, दक्षिण कोरिया, न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया शामिल है।
भारत पिछले साल समझौते की वार्ताओ से हट गया था। भारत इस समझौते में शामिल नहीं है। समझौते के तहत अपने बाजार को खोलने की अनिवार्यता के कारण घरेलू स्तर पर विरोध की वजह से भारत इस से बाहर निकल गया था। जापान के प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार समझौते में भविष्य में भारत की वापसी की संभावना समेत स्वतंत्र एवं विपक्ष आर्थिक क्षेत्रों के विस्तार को समर्थन देती है।