Bihar ka Tajmahal : नए साल में कहीं घूमने की सोच रहे है तो बिहार के ताजमहल का दीदार करने जरूर जाएं, इसको देखने दूर-दूर से आते हैं पर्यटक

दुनियाभर में घूमने का शौक करने वाले लोगों का तादात करोड़ों में है। भारत में ही कई ऐसे पर्यटक स्थल है जो बेहद आकर्षक हैं। पर्यटन को बढ़ावा देने के मकसद से 25 जनवरी को राष्ट्रीय पर्यटन दिवस (National Tourism Day 2024) भी मनाया जाता है। इस दिन को मनाने के पीछे मकसद होता है, उन पर्यटन स्थलों की जानकारी देना, जिनके बारे में लोगों को अधिक पता नहीं होता है।

नया साल आने में कुछ ही दिन बचे हैं ऐसे में हर कोई नए साल में घूमने की प्लानिंग कर रहा है अगर आप भी कहीं घूमने की प्लानिंग कर रहे हैं तो आपको बता दे की बिहार राज्य में भी कई ऐसे पर्यटक स्थल है जिसके बारे में यहां के लोग भी नहीं जानते हैं। जिसमें एक शेरशाह सूरी का मकबरा है। जिसे दूसरा ताजमहल कहते हैं। यहां पर घूमना एक शानदार अनुभव हो सकता है। आईए जानते हैं इस जगह की खूबसूरती के बारे में।

शेरशाह सूरी की याद में बना ये मकबरा

Bihar ka Tajmahal

बिहार के सासाराम में अफगान बादशाह शेरशाह सूरी का मकबरा है। इसे सम्राट शेरशाह सूरी की याद में बनाया गया है। यह मकबरा इंडो-इस्लामिक वास्तुकला का बेहतरीन उदाहरण हैं। इसे दूसरा ताजमहल भी कहा जाता है। झील के बीच में स्थित शेरशार सूरी मकबरा को जो देखता है देखता रह जाता है।लाल बलुआ पत्थर से बने इस मकबरे का निर्माण काल शेरशाह सूरी के जीवन काल से शुरू हो गया था। कहा जाता है कि उनकी मौत के 3 महीने बाद इस मकबरे का निर्माण काम खत्म हुआ था। शेरशाह सूरी के मकबरे में शेरशाह और उनकी फैमिली को दफनाया गया था।

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मकबरे के बीच में है शेरशाह सूरी की कब्र 

Bihar ka Tajmahal in hindi

इस मकबरे के भीतर 24 कब्रें हैं। बादशाह शेरशाह सूरी की कब्र मकबरे के ठीक बीच में है। बादशाह के शव को कलिंजर से लाकर यहीं दफनाया गया था। उनके मजार के सटे दो लाइनों में उनके चहेते अधिकारियों व परिवार के सदस्यों की कब्र है। यह मकबरा तीन मंजिला है। ऊपर जाने के लिए दक्षिणी-पूर्वी दिशा के गलियारे से सीढ़ी है। ऊपर कंगूरेदार मुंडेर से घिरा है। मुख्य गुंबद के चारों ओर अष्टभुज के किनारों पर आठ स्तंभवाले गुंबज लगे हैं। चबूतरे के ऊपर इस मकबरे की कुल ऊंचाई 120 फीट है। पानी की सतह से ऊंचाई 150 फीट है। शेरशाह सूरी की मौत के तीन महीने बाद सलीम शाह के मकबरे को पूरा कराने पर 16 अगस्त 1545 ईस्वी को लिखा गया शिलालेख है। इस मकबरे की नक्काशी व शिल्पकला पर्यटकों को अफगान स्थापत्य कला की जानकारी देती है।

इंडो-इस्लामिक वास्तुकला का बेहतरीन नमूना ये मकबरा

Bihar ka Tajmahal

बताया जाता है कि प्रसिद्ध वास्तुकार मीर मुहम्मद अलीवाल खान ने मकबरे को डिजाइन किया था।1540-1545 के बीच निर्मित यह मकबरा तीन मंजिला है। चारों तरफ पानी है। हालांकि अब इसके ऊपरी मंजिल पर जाना मना है लेकिन पहले इसके ऊपर जाकर पूरे सासाराम का नजारा देखा जा सकता था। बिहार में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए इस मकबरे का अब खास ख्याल रखा जा रहा है। इससे पहले इसकी स्थिति जर्जर हो चुकी थीं। 400 साल पुराने इस मकबरे को देखने के लिए 20-25 रुपए का टिकट लगता है।

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ऐसे पहुंचे बिहार के इस ताजमहल को देखने

Bihar ka Tajmahal kahan hai

शेरशाह का मकबरा बिहार के रोहतास जिले के मुख्यालय सासाराम में स्थित है। सासाराम पूर्व मध्य रेलवे (East Central Railway) के पंडित दीनदयाल उपाध्‍याय जंक्‍शन -गया जंक्‍शन रेलखंड (DDU-Gaya Rail block) पर स्थित प्रमुख रेलवे स्टेशन है। यहां अधिकांश मेल, सुपरफास्ट ट्रेनों का ठहराव है। इसके अलावा यह राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या दो पर वाराणसी से 130 किलोमीटर पूरब स्थित है। हवाई मार्ग से आने के लिए वाराणसी, पटना व गया एयरपोर्ट से सड़क मार्ग से यहां पहुंचा जा सकता है। मकबरा समाहरणालय से पांच सौ मीटर दक्षिण में मुख्य शहर के बीचोबीच स्थित है।

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