अमेरिका: अमेरिका मे राष्ट्रपति चुनाव के लिए वोटों की गिनती जारी है और अब मुकाबला कांटे का हो चला है। इस बीच रिपब्लिकन और डेमोक्रेटिक की ओर से राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार की बयानबजी भी तेज हो गई है। राष्ट्रपति चुनाव में जीत के करीब पहुंचे वाइडेन ने इस बीच एक बड़ा ऐलान कर दिया है।
वाइडेन का कहना है कि उनकी सरकार बनने पर अमरीका वापस से पेरिस एग्रीमेंट में शामिल हो जाएगा।अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव के नतीजे पर पूरी दुनिया की नजर है। यह नतीजे सिर्फ अमेरिका का नया राष्ट्रपति तय नहीं करेगा बल्कि पूरी दुनिया में क्लीन और ग्रीन एनर्जी के लिए भी किए जा रही है।
प्रेसिडेंट डोनाल्ड ट्रंप ने 3 साल पहले क्लाइमेट चेंज पर बने परिस एग्रीमेंट से बाहर निकलने की घोषणा की थी ऐसा हुआ तो ईरान और तुर्की के बाद अमेरिका तीसरा बड़ा देश होगा। जो क्लाइमेट चेंज से जुड़े कमिटमेंट पूरे नहीं करेगा।दरअसल बुधवार को अमरीका औपचारिक रूप से पेरिस क्लाइमेट एग्रीमेंट से बाहर हो रहा है।
डेमोक्रेट्स उम्मीदवार वार्डन ने ट्वीट कर लिखा
डेमोक्रेटिक उम्मीदवार वाइडेन ने ट्वीट कर लिखा आज ट्रंप प्रशासन ने आधिकारिक रूप से पेरिस क्लाइमेट एग्रीमेंट छोड़ दिया है लेकिन ठीक 77 दिन में वाइडेन प्रशासन इसे दोबारा से ज्वाइन करेगा।अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम ने इसी साल जून में अमेरिका को पेरिस जलवायु समझौता से अलग कर लिया था।ट्रंप ने कहा था कि मैं चाहता हूं कि जलवायु परिवर्तन को लेकर पेरिस समझौते में अमरीकी हितों के लिए एक उचित समझौता है।
ट्विस्ट की बात तो यह है कि डेमोक्रेटिक कैंडिडेट जो वाइडेन ने वादा किया है कि वे चुनाव जीते तो परिस क्लाइमेट एग्रीमेंट में अमेरिका फिर जुड़ जाएगा। इसमें एक महीना तक लग सकता आखिर डेमोक्रेट प्रेसिडेंट बराक ओमामा के टेन्योर में ही तो एक एग्रीमेंट को साकार करने में अमरीका ने अहम भूमिका निभाई थी।
आइए जानते पेरिसए एग्रीमेंट क्या है
आपको बता दें कि पेरिस समझौता एक महत्वपूर्ण पर्यावरण समझौता है। जिसे जलवायु परिवर्तन और उसके नकारात्मक प्रभावों से निपटने के लिए साल 2015 में दुनिया के लगभग सारे देशों ने अपनाया था।।यह समझौता विकसित राष्ट्रों को उनके जलवायु से निपटने के प्रयास में विकासशील राष्ट्रों की सहायता हेतु एक मार्ग प्रदान करता है।
दशकों तक बातचीत के बाद दुनिया के 197 देश इस बात को लेकर सहमत हुए थे कि वे धरती का तापमान बढ़ाने वाली गैसों का उत्सर्जन कम करेंगे। चुनिंदा देशों ने इस डील से दूरी बनाई थी। एक्सपर्ट को लगता है कि परिस एग्रीमेंट में टारगेट बहुत कम रखे हैं लेकिन दुनिया के ज्यादातर देशों को एक बात के लिए राजी करना इतना आसान नहीं था।
2015 में पेरिस में सब देश साथ आए। यूनाइटेड नेशंस फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन क्लाइमेट चेंज बनाया। उसमें अमेरिका राष्ट्रपति बराक ओबामा ने एग्रीमेंट को ऐतिहासिक बताया था। यह भी कहा था कि यह महज शुरुआत है धरती के बढ़ते तापमान को रोकने के लिए आगे भी बहुत कुछ करने की जरूरत होगी।
इस एग्रीमेंट का सबसे बड़ा लक्ष्य है दुनिया के तापमान को औद्योगीकरण से पहले की स्थिति के मुकाबले अधिकतम 2 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखना।हालांकि वैज्ञानिक तो चाहते हैं कि धरती का तापमान 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रह जाए लेकिन अब यह संभव नहीं लग रहा है क्योंकि 1 डिग्री सेल्सियस तापमान तो पहले ही बढ़ चुका है पेरस एग्रीमेंट में हर देश ने अपने स्तर पर टारगेट सेट किए और वह उस पर अपनी प्रोग्रेस रिपोर्ट भी दे रहा है।
परिस एग्रीमेंट से क्या सुधार हुआ है
परिस एग्रीमेंटके प्रयासों से अच्छी शुरुआत नतीजे सामने आए हैं। सच यह है कि जितने प्रयास अब तक हुए हैं वह आने वाले समय में धरती के तापमान को 2 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ने से रोकने में काफी मदद करेगी। परिस एग्रीमेंट के बाद भी दुनिया मौजूदा है स्पीड से 3 डिग्री सेल्सियस तक गर्म होने की राह पर है क्लाइमेट चेंज की वजह से परेशानियां सामने आने लगी है। यदि अब भी गंभीर प्रयास नहीं किए गए तो तेज धूप चलेगी समुद्र का स्तर बढ़ेगा और बड़े शहरों को बाढ़ का सामना करना पड़ेगा। सरकार को हर मौसम की तीव्रता का सामना करने के लिए हमेशा तैयार रहना होगा।
बता दें कि डोनाल्ड ट्रम की ओर से आरोप लगाया गया था कि क्लाइमेट चेंज के लिए सबसे अधिक धनराशि अमेरिका देता है लेकिन क्लाइमेट को सबसे अधिक नुकसान भारत चीन जैसे देश पहुंचाते हैं। ऐसे मे उन्हें भी अमेरिका जितनी राशि देनी चाहिए। इतना कहने के बाद डोनाल्ड ट्रंप ने पेरिस एग्रीमेंट से बाहर निकलने का ऐलान किया। इसी बीच डेमोक्रेटिक उम्मीदवार वाइडेन ने वोटों की गिनती के दौरान ट्वीट कर कहां ठीक 77 दिन में वार्डन प्रशासन इसे दोबारा से ज्वाइन करेगा।