Amavasya in March 2024 : मार्च 2024 में अमावस्या कब है, यह दिन पितृ पूजन के लिए क्यों है श्रेष्ठ, जाने तारीख शुभ मुहूर्त और पूजा की विधि

Amavasya in March 2024 : हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि का बहुत अधिक महत्व है। प्रत्येक महीने में एक बार अमावस्या मनाई जाती है। यह तिथि पितरों की पूजा के लिए समर्पित है। इस दिन किसी पवित्र नदी में स्नान, ध्यान और दान करने का विधान है इसके साथ ही व्रत करने से इंसान को सुख-समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं फाल्गुन अमावस्या की डेट, शुभ मुहूर्त और पूजा करने की विधि के बारे में।

एकादशी कब है डेट और शुभ मुहूर्त- Amavasya in March 2024

Amavasya in March 2024 in hindi

पंचांग के अनुसार, फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि की शुरुआत 09 मार्च की शाम को 06 बजकर 17 मिनट से होगी और इसके अगले दिन यानी 10 मार्च को दोपहर 02 बजकर 29 मिनट पर तिथि का समापन होगा। उदया तिथि के अनुसार, फाल्गुन अमावस्या 10 मार्च को मनाई जाएगी।

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फाल्गुन अमावस्या 2024 स्नान दान समय (Falgun Amavasya 2024 Snan Daan Samay)

फाल्गुन अमावस्या 2024 के दिन स्नान के लिए ब्रह्म मुहूर्त को बहुत ही लाभकारी माना गया है। बता दें कि इस दिन ब्रह्म मुहूर्त सुबह 04:59 से सुबह 05:48 तक रहेगा। वहीं इस दिन दान के लिए अभिजीत और विजय मुहूर्त को सबसे उत्तम माना जाता है। अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12:08 से दोपहर 12:55 के बीच रहेगा। वहीं विजय मुहूर्त दोपहर 02:30 से दोपहर 03:17 के बीच रहेगा।

फाल्गुन अमावस्या पूजा विधि- Ekadashi in March 2024

  • अमावस्या के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठे और दिन की शुरुआत ईश्वर के ध्यान के साथ करें।
  • इस दिन पवित्र नदी में स्नान, जप-तप और दान करने का विधान है। ऐसे में पवित्र नदी में स्नान करें और और विशेष चीजों का दान करें।
  • इसके बाद सूर्य देव को जल अर्पित करें। साथ ही पितरों की मोक्ष प्राप्ति की प्रार्थना करें।
  • आप अपनी श्रद्धा अनुसार गरीब लोगों को कपड़े, भोजन और धन का दान कर सकते हैं।

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Vijaya ekadashi 2024 में करें ये काम

  • अमावस्या तिथि पितरों को समर्पित होती है, तो ऐसे में फाल्गुन अमावस्या के दिन विधिपूर्वक पूजा करें। मान्यता है कि ऐसा करने से पितृ प्रसन्न होते हैं।
  • इसके अलावा अमावस्या के दिन चीटियों को आटा अवश्य खिलाएं।
  • पितरों को प्रसन्न करने के लिए पिंडदान और तर्पण जरूर करें।
  • ऐसा कहा जाता है कि यदि हर अमावस्या पर आप पितरों का श्राद्ध नहीं कर पाते हैं, तो फाल्गुन अमावस्या जैसी कुछ विशेष अमावस्याएं होती हैं, जिन पर ये श्राद्ध कर्म किए जाते हैं।

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