अल्जाइमर एक प्रगतिशील विकार है जो मस्तिष्क में तंत्रिका कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाता है। यह रोग आमतौर पर वृद्धावस्था में लोगों को प्रभावित करता है। इस रोग से पीड़ित लोगों की याददाश्त बहुत कमजोर हो जाती है और उनका दिमाग भी ठीक से काम नहीं कर पाता है। इससे उनकी दिनचर्या धीरे-धीरे बिगड़ने लगती है। अल्जाइमर डिमेंशिया का सबसे आम कारण है। आप अल्जाइमर रोग को पूरी तरह से ठीक तो नहीं कर सकते हैं, लेकिन आप इसके लक्षणों को नियंत्रित जरुर कर सकते हैं। आइए जानते हैं अल्जाइमर रोग हिंदी में पूरी जानकारी आर्टिकल को नीचे पूरा पढ़े।
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अल्जाइमर रोग क्या है? What is Alzheimer’s disease in hindi?
अल्जाइमर रोग मनोभ्रंश (dementia) का एक प्रगतिशील रूप है। मनोभ्रंश उन स्थितियों के लिए एक व्यापक शब्द है जो स्मृति, सोच और व्यवहार को नकारात्मक रूप से प्रभावित करती हैं। यह परिवर्तन दैनिक जीवन में कठिनाइयाँ पैदा करते हैं जो सामान्य से लेकर गंभीर तक हो सकती है। अल्जाइमर रोग वैसे तो उम्र के किसी भी दौर में हो सकता है, लेकिन इसकी होने की आशंका 60 वर्ष के बाद ज्यादा होती है। दुनिया भर में मनोभ्रंश यानि डिमेंशिया से लगभग 5 करोड़ से अधिक लोग पीड़ित हैं और इन लोगों से में से करीब 60 से 70 प्रतिशत के बीच अल्जाइमर रोग होने का अनुमान है।
बीमारी के शुरुआती लक्षणों में हाल की घटनाओं या बातचीत को भूलने की समस्या होती है। जैसे-जैसे बीमारी बढ़ती है, अल्जाइमर रोग से पीड़ित व्यक्ति की याददाश्त भी कमजोर हो जाती है और वह रोजमर्रा के कार्यों को करने की क्षमता खो देता है। इस दिमागी बीमारी की सबसे बड़ी समस्या यह है कि यह लगातार प्रगति करती है और इसका कोई उपचार भी मौजूद नहीं है। जी हाँ, लेकिन कुछ खास उपायों और कुछ दवाओं की मदद से इसके आगे बढ़ने की गति को धीमा किया जा सकता है।
अल्जाइमर रोग का कारण क्या हैं? (What are the causes of Alzheimer’s Disease in Hindi)
- अल्जाइमर रोग का सटीक कारण नहीं है। मस्तिष्क के प्रोटीन ठीक से काम नहीं कर पाते हैं, जिससे मस्तिष्क की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचता है। इससे मस्तिष्क की कोशिकाओं का आपस में जुड़ाव समाप्त हो जाता है, इस प्रकार धीरे-धीरे कोशिकाएं मरने लगती हैं।
- कुछ सिद्धांत बताते हैं कि इसका कारण आनुवंशिक, जीवन शैली और पर्यावरणीय कारकों का एक संयोजन है। 1 प्रतिशत से भी कम आबादी में यह विशिष्ट आनुवंशिक कारणों से होता है।
- यह पाया गया है कि मस्तिष्क में क्षति मस्तिष्क के स्मृति भंडारण भागों में शुरू होती है। अल्जाइमर रोग का कारण बनने वाले कुछ जोखिम कारक हैं।
- 65 वर्ष से अधिक आयु के लोगों में अल्जाइमर रोग का खतरा अधिक होता है।
- महिलाओं में अल्जाइमर रोग विकसित होने का खतरा अधिक होता है।
- हल्के संज्ञानात्मक हानि (ऐसी स्थिति जहां स्मृति और अन्य सोच कौशल में गिरावट होती है) वाले लोगों में मनोभ्रंश विकसित होने का अधिक जोखिम होता है।
- अल्जाइमर सिर की चोट के कारण भी हो सकता है, बुढ़ापे के साथ जोखिम बढ़ जाता है, और अगर सिर में कई चोट लगी हो तो भी। सिर में चोट लगने के बाद पहले 6 महीने से लेकर 2 साल तक में सबसे ज्यादा खतरा बताया जाता है।
- अनिद्रा से अल्जाइमर रोग का खतरा बढ़ जाता है।
- उच्च वायु प्रदूषण तंत्रिका क्षति की दर को तेज कर सकता है, जिससे मनोभ्रंश की दर बढ़ सकती है।
- अत्यधिक शराब के सेवन से शुरुआत में मनोभ्रंश का खतरा बढ़ सकता है।
- अल्जाइमर रोग उसी के आनुवंशिक या पारिवारिक इतिहास के कारण हो सकता है।
- डाउन सिंड्रोम (एक आनुवंशिक विकार) वाले मरीजों में अल्जाइमर रोग विकसित होने का खतरा अधिक होता है, जहां लक्षण सामान्य लोगों से 10-20 साल पहले दिखाई देते हैं।
- अन्य कारक जैसे- व्यायाम की कमी, मोटापा, धूम्रपान, उच्च रक्तचाप, उच्च कोलेस्ट्रॉल, टाइप 2 मधुमेह आदि अल्जाइमर रोग के जोखिम को बढ़ाते हैं।
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अल्जाइमर रोग के लक्षण (What are the symptoms of Alzheimer’s Disease in Hindi)
अल्जाइमर के लक्षणों को तीन श्रेणियों में बांटा गया है।
1 प्रारंभिक लक्षण
- दिनांक और समय का ट्रैक खोना।
- वस्तुओं का गलत स्थान।
- निर्णय लेने में कठिनाई होना।
- दैनिक कार्यों को समय पर पूरा करने में असमर्थता होना।
- सामाजिक आयोजनों से बचना।
- बात करने में समस्या।
- स्मृति समस्याएं आपके दैनिक जीवन को अस्त-व्यस्त कर रही हैं।
2 मध्यम लक्षण
- बिना वजह गुस्सा आना।
- मित्रों और परिवार के सदस्यों को पहचानने में समस्या होना।
- पढ़ने और लिखने में कठिनाई महसूस करना।
- नए कार्यों को सीखने और समझने में असमर्थ होना।
- व्यवहार के लक्षणों का अनुभव करना, जैसे रोना, चिंता, घूमना, बेचैनी आदि।
3 गंभीर लक्षण
- वजन कम होना।
- दौरे का अनुभव होना।
- त्वचा में संक्रमण।
- निगलने में कठिनाई होना।
- पेशाब में कमी।
अल्जाइमर रोग के आयुर्वेदिक उपचार ( Ayurvedic Treatment Of Dementia )
अल्जाइमर रोग को इन सब आयुर्वेदिक उपचार से ठीक किया जा सकता है।
तिल का तेल (Herbs For Dementia)
आयुर्वेद में तिल के तेल का प्रयोग याददाश्त बढ़ाने में उपयोगी है। तिल के तेल को गुनगुना गर्म कर उसकी ३-३ बूंदें अपने नाक के दोनों नथुनों में डाल सकते हैं। सिर व पैरों के तलवों की मालिश के अलावा तेल को भोजन में भी प्रयोग कर सकते हैं।
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हल्दी व बादाम ( Herbal Drugs Used In Alzheimer’s Disease )
गाजर खाएं ( Herbs To Treat Alzheimer’s Disease )
अश्वगंधा ( Ashwagandha For alzheimer’s )
वाचा (Vacha For alzheimer’s )
डिमेंशिया के लक्षणाें में कमी करने के लिए वचा जड़ी-बूटी बेहद उपयाेगी हाेती है। यह केंद्रीय तंत्रिका तंत्र काे उत्तेजित करती है। मस्तिष्क के कार्य काे बढ़ावा देता है। वाचा मस्तिष्क काे फिर से जीवंत करता है, जाे डिमेंशिया की वजह से क्षतिग्रस्त हाे जाता है। साथ ही यह मस्तिष्क के कार्य में भी सुधार करता है। वाचा का उपयाेग आयुर्वेद में कई अन्य तरह के राेगाें काे भी दूर करने के लिए किया जाता है। इसमें लिवर, श्वसन, किडनी आदि शामिल हैं।
FAQ
Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारी एक सामान्य ज्ञान पर आधारित है हमारा उद्देश्य केवल आपको जानकारी प्रदान करना है। हम किसी भी तरह से उपचार या दवा की सलाह नहीं देते हैं। केवल एक डॉक्टर ही आपको सबसे अच्छी सलाह और सही उपचार योजना दे सकता है।यदि आपको अल्जाइमर रोग के बारे में अधिक जानकारी और उपचार की आवश्यकता है, तो तुरंत एक न्यूरोलॉजिस्ट से संपर्क करें। आपको यह जानकारी कैसी लगी कमेंट में जरूर बताएं।