नई दिल्ली: दिल्ली में सर्दियों में बढ़ जाने वाले वायु प्रदूषण को रोकने के लिए तैयारियां शुरू कर दी गई है। जिसमें जरूरी या इमरजेंसी सेवाओं में इस्तेमाल होने वाले जनरेटर को छोड़कर गुरुवार से जनरेटर के उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया है। यह निर्देश सरकार के ग्रेडेड एक्शन रिस्पांस प्लान के तहत जारी किया गया है।
ये GRAP प्रदूषण रोधी उपाय है। जिसे गंभीर स्थिति के मुताबिक दिल्ली और उसके आसपास के क्षेत्र में लागू किया जाता है। ये 2017 में पर्यावरण और वन मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट की तरफ से प्रदूषण के रोकथाम के लिए लागू किया था। एक सरकारी आदेश की मुताबिक दिल्ली में प्रदूषण नियंत्रण समिति 15 अक्टूबर से लागू हो गया है। जिसमें डीजल पेट्रोल केरोसिन से चलने वाली विद्युत जनरेटर पर प्रतिबंध है।
15 अक्टूबर से 28 फरवरी तक एक टीम की निगरानी
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुताबिक 50 टीमें 15 अक्टूबर से लेकर 28 फरवरी तक प्रदूषण के रोकथाम के लिए कार्य करेगी। ये टीम दिल्ली समेत दिल्ली एनसीआर के 5 शहरों में भी कार्य करेगी। जिसमे वे टीम प्रदूषण गतिविधियों पर कड़ी नजर रखेगी।
ऐसा बताया जा रहा है, कि कोरोना वायरस को लेकर यह नियम का पालन करना थोड़ा मुश्किल पड़ सकता है। बताया जा रहा है सड़कों पर मैनुअल तरीके से झाड़ू लगाने पर रोक है। सड़कों की सफाई मैकेनाइज्ड तरीके से होगी।
पानी का छिड़काव सीपीसीबी और दिल्ली पॉल्यूशन कंट्रोल कमिटी की टीम हॉटस्पॉट के साथ कूड़ा जलाने वाले पर भी सख्त नजर रखेगी। डीपीसीसी ने इस मामले को लेकर सभी जिले के डीएम,डीसीपी,एनडीएमसी और दिल्ली कैंट के अधिकारियों को इस निर्देश का पालन सख्ती से करने का आदेश दिया है।
आइए जानते हैं किन सेवाओं से डीजल जनरेटर की छूट रहेगी
1. दिल्ली मेट्रो रेल कारपोरेशन की ट्रेन और रेलवे स्टेशन पर
2. मेडिकल अस्पताल
3. एयरपोर्ट और बस स्टैंड
4. लिफ्ट
5. नेशनल इंफॉर्मेशन सेंटर के डाटा के लिए
दिल्ली में प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण आसपास के राज्यों में पराली जलाना। रिसर्च के मुताबिक दिल्ली के प्रदूषण स्तर में पराली जलाने का योगदान बुधवार को 1% रहा। वहीं मंगलवार को 3% था। आईआईटी कानपुर द्वारा की गई एक स्टडी के मुताबिक दिल्ली में 38 फ़ीसदी प्रदूषण सड़कों की धूल से आता है। जिसमें बताया जा रहा है, कि सर्दियों में प्रदूषण जमीन के करीब आ जाता है और प्रदूषण स्तर बढ़ जाता है।