अज़रबैजान के राष्ट्रपति इलहाम अलीयेव ने थोड़ी देर पहले ट्वीट कर आर्मेनिया को खुली चेतावनी दी है। अज़रबैजान और आर्मेनिया बीच चल रही लड़ाई रुकने का नाम ही नहीं ले रही है। गुरुवार को इस लड़ाई के 19 वे दिन हो गए। जिसमे विवाद और गहराता नजर आ रहा है।
अजरबैजान के राष्ट्रपति इलहाम अलीयेव ने थोड़ी देर पहले ये ट्वीट किया और कहा कि आर्मेनिया की सरकार और लोगों को ये संदेश देता हूं कि वो आजाद इलाके में लौटना तुरंत बंद करें वरना उनके इस कदम से खून खराबा बढ़ेगा।
गुरुवार को आर्मेनिया और अजरबैजान ने बताया था, कि युद्ध रोकने के बावजूद भी नारगोनो कारावाख इलाके मे हिंसा जारी है, और हालात बहुत तनावपूर्ण बने हुए हैं। बताया जा रहा है कि दिन-ब-दिन यह लड़ाई और तेज होती जा रही है।
अजरबैजान की सेना ने दावा किया है कि उसने आर्मेनिया के क्षेत्र में एक मिसाइल को नष्ट कर दिया। जिससे निगरानी के लिए लगाया गया था। बताया जा रहा है कि आर्मेनिया के इलाके में अजरबैजान का ये मिसाइल हमला युद्ध की दिशा बदल सकता है।
यह पहली बार है जब अजरबैजान ने गैर मान्यता प्राप्त नारगोनो कारावाख से बाहर हमला किया है। ऐसा लग रहा है कि, ये हमला कही विश्व युद्ध की ओर ना चला जाए। आर्मेनिया पर हमला रूस की ओर से संघर्ष में हस्तक्षेप का कारण बन सकता है। रूस युद्ध को रोकने के लिए हर संभव कोशिश कर रहा है।
अज़रबैजान ने अपने हथियारों की संख्या बढ़ा दी है
अजरबैजान ने तुर्की से आयात किए जाने वाले हथियारों की संख्या भी बढ़ा दी है। तुर्की के राष्ट्रपति रेचने तैयब अदोआन इस जंग में अजरबैजान का खुलकर साथ निभा रहा है। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने बताया कि युद्ध विराम को तोड़ने के उल्लंघन के बावजूद इसको रोकने की कोशिश की अपील की है।
आर्मेनिया के विदेश मंत्रालय ने अजरबैजान पर आरोप लगाया है। वह उनके क्षेत्र में सैन्य आक्रमण कर रहा अजरबैजान के कैस्पियन सागर से कच्चे तेल को तुर्की और पश्चिमी बाजारों में ले जाने वाली पाइप लाइन को क्षतिग्रस्त करने की चिंता बढ़ गई है। अजरबैजान के राष्ट्रपति इलहाम अलीयेव ने आर्मीनिया को उसकी गैस ऑयल पाइप लाइन को नुकसान पहुंचाने की धमकी दी है।
आइए जानते हैं कौन सा देश किसके साथ है
नारगोनो कारावाख मे शांति बनाए रखने के लिए 1929 में फ्रांस, रूस और अमेरिका की अध्यक्षता में ऑर्गनाइजेशन फॉर सिक्योरिटी एंड कोऑपरेशन इन यूरोप मिंस्क ग्रुप की मध्यस्थता में शांति की बात शुरु हुई थी
अमेरिका फ्रांस और रूस ने नारगोनो कारावाख में जारी लड़ाई की आलोचना की और युद्ध खत्म करने को कहा। अजरबैजान के समर्थन में उतरे तुर्की ने युद्धविराम की मांग को खत्म कर दिया। वहीं रूस के आर्मेनिया के साथ गहरे संबंध हैं। आपको बता दें, कि अजरबैजान और आर्मेनिया के बीच युद्ध भी जारी है। ऐसे में डर इस बात का है कि कहीं यह युद्ध विश्वयुद्ध का रूप ना ले ले।