सुधा मूर्ति जीवनी ( About Sudha Murthy in Hindi ) | सुधा मूर्ति द्वारा किए गए कार्य और उनकी पुस्तकें

Biography of Sudha Murthy :  इंफ़ोसिस (Infosys) का नाम सुनते ही एक एक शख्स का नाम सबके दिमाग में आता है। ये नाम है एन आर नारायणमूर्ति (NR Narayana Murthy) । नारायणमूर्ति (NR Narayana Murthy) ही वो शख्स हैं जिसके वजह से आज इन्फोसिस (Infosys) को भारत का ही नहीं बल्कि दुनिया की टाॅप IT कंपनियों में गिना जाता है। लेकिन ये बहुत कम लोग जानते हैं कि इस कंपनी को किसके पैसों से बनाया गया है। दरअसल, नारायण की पत्नी सुधा मूर्ति टाटा इंडस्ट्रीज में काम करती थी। About Sudha Murthy in Hindi

नारायणमूर्ति ने उनसे 10,000 रुपये उधार लेकर इस कंपनी को शुरू किया था। जो अब पूरी दुनिया में झंडे गाड़ रही है। इन्फोसिस के इन्फोसिस फाउंडेशन (Infosys Foundation) की अध्यक्षा सुधा मूर्ति (Sudha Murty) एक ऐसी शख्सियत हैं जो जिंदगी को सादगी के साथ जीती है। उनके बारे में बहुत सी कहानियां है। वह आज लाखों महिलाओं के लिए प्रेरणा का स्त्रोत हैं। आइए जानते हैं Sudha Murthy Infosys founder ke chairman kaun hai, Infosys founder Sudha Murty के जीवन और उनके कार्यों के बारे में।

सुधा मूर्ति जीवनी (About Sudha Murthy in Hindi)

About Sudha Murthy in Hindiसुधा मूर्ति ( Dr Sudha Murthy ) का जन्म 19 अगस्त 1950 में उत्तरी कर्नाटक के शिगांव में हुआ था। विवाह से पहले  उनका नाम सुधा कुलकर्णी था। उन्होंने बी.वी.बी.कालेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी’, हुबली से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में स्नातक की उपाधि ग्रहण की। वे राज्य में प्रथम स्थान पर आई, जिसके लिए उन्हें कर्नाटक के मुख्यमंत्री से एक रजत पदक प्राप्त हुआ। सन 1974 में उन्होंने अध्ययन में और भी उन्नति की, जब उन्होंने ‘इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस’ से कंप्यूटर साइंस में मास्टर्स डिग्री ग्रहण की। उन्होंने अपने वर्ग में प्रथम स्थान प्राप्त किया और ‘इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियर्स ‘से इस उपलब्धि के लिए उन्हें स्वर्ण पदक भी मिला।

वे एक सामाजिक कार्यकर्ता, इंजीनियर, एक संवेदनशील शिक्षक तथा एक अत्यंत कुशल लेखिका भी हैं। अन्य कामों के साथ-साथ उन्होंने कर्नाटक में सभी सरकारी स्कूलों में कंप्यूटर तथा पुस्तकालय सुविधाएँ मुहैया करने का भी कदम उठाया है। वे कंप्यूटर साइंस भी पढ़ाती हैं तथा कथा-साहित्य लेखन भी करती हैं। उन्होंने ‘डालर बहू ‘नाम से कन्नड़ भाषा में एक पुस्तक लिखी थी, कन्नड़ भाषा में जिसका अर्थ होता है ’डालर पुत्र-वधू’ बाद में ऐसे अंग्रेजी में अनूदित किया गया और ऐसे ‘डालर बहू’ नाम  दिया गया। सन 2001 में इस पुस्तक पर आधारित एक टी.वी.धारावाहिक भी बना। सन 1974 से सन 1981 तक वे पुणे में रहीं और उसके बाद मुंबई चली गई ।

स्नातक की उपाधि प्राप्त करने के बाद उन्होंने जे.आर. डी.टाटा को पोस्टकार्ड लिखा था और उसमें यह शिकायत की थी कि ‘टाटा मोटर्स’ में लिंग पक्षपात किया जाता है, क्योंकि वहां केवल पुरूषों को ही नौकरी दी जाती है। इस शिकायत के कारण ‘टाटा मोटर्स’ के अधिकारीयों ने उन्हें इस विषय पर लंबी चर्चा के लिए बुलाया, सुधा ने ‘टेल्को’ में एक ग्रेजुएट ट्रेनी के रूप में अपना कैरियर आरंभ किया था।

सुधा मूर्ति द्वारा किए गए कार्य ( Information about Sudha Murthy in Hindi)

शिक्षा समाप्ति के बाद सुधा मूर्ति ने सबसे पहले ग्रेजुएट प्रशिक्षु के तौर पर टाटा कंपनी और बाद में दी वालचंद ग्रुप आफ इंडस्ट्रीज में काम किया। कम्प्यूटर साइंस के क्षेत्र में उन्हें महिलाओं के लिए महारानी लक्ष्मी अम्मानी कालेज की स्थापना करने का श्रेय जाता है जो आज बेंगलूर यूनिवर्सिटी के कम्प्यूटर साइंस विभाग के तहत बेहद प्रतिष्ठित कालेज का दर्जा रखता है। महिला अधिकारों की समानता के लिए भी About Sudha Murthy in Hindi सुघा मूर्ति ने बेहद काम किया है। इस संबंध में एक घटना उल्लेखनीय है। उस जमाने में टाटा मोटर्स में केवल पुरुषों को भर्ती करने की नीति थी जिसे लेकर सुधा मूर्ति ने जेआरडी टाटा को एक पोस्टकार्ड भेजा। इसका असर यह हुआ कि टाटा मोटर्स ने उन्हें विशेष साक्षात्कार के लिए बुलाया और वह टाटा मोटर्स (तत्कालीन टेल्को) में चयनित होने वाली पहली महिला इंजीनियर बनीं। सुधा मूर्ति एक बेहद प्रभावशाली लेखिका भी हैं और उन्होंने आम आदमी की पीड़ाओं को अभिव्यक्ति देते हुए आठ उपन्यास भी लिखे हैं

सुधा मूर्ति का निजी जीवन (Sudha Murthy story )

सुधाजी के पुणे मे जॉब करने के दौरान उनकी मुलाकात नारायण मूर्ती से हुई। दोनों बहुत अच्छे दोस्त बने उसके बाद उन दोनों ने शादी कर ली । सुधाजी और नारायण मूर्ति ( Sudha And Narayan Murthy) को 2 बच्चे है, एक लड़का और एक लड़की जिसका नाम अक्षता और रोहन है। नारायण मूर्ति जी अपना खुद का कारोबार करना चाहते थे लेकिन उनके पास पैसेे नहीं थे। उसके बाद एक दिन उन्होंने उनकी यह बात सुधा जी के सामने रखी उसके बाद सुधाजी ने उनके इस काम को को बढ़ावा देते हुये बिज़नस शुरू करने को कहा और उनके पास जो  भी उनकी जमा पूंजी थी 10,000 वो नारायण मूर्ती जी को दे दी । नारायण जी ने उस पैसे से ‘ इंफोसिस ‘ (Infosys) की शुरूआत की , जो सुधाजी ने जरूरत के लिए बचाकर कर रखा था । नारायण मूर्ति बड़े गर्व से बताते हैं कि यह उसी की बची हुई धनराशी थी, जिससे इंफोसिस बनकर तैयार हुआ।

सुधा मूर्ति को मिलने वाले पुरस्कार  (Sudha Murthy Awards)

  • राष्ट्रपति डॉ ए. पी. जे. अब्दुल कलाम द्वारा सुधा मूर्ती को पद्म श्री पुरस्कार सम्मान प्राप्त हुआ हैं।
  • एम.टेक में पहली रैंक हासिल करने के लिए भारतीय इंजीनियर्स संस्थान से स्वर्ण पदक।
  • इंजीनियरिंग की सभी शाखाओं के B.E में सर्वोच्च अंक प्राप्त करने के लिए कर्नाटक के मुख्यमंत्री श्री देवराज उर्स से स्वर्ण पदक।
  • उन्हें कर्नाटक में इंजीनियरिंग के सभी विश्वविद्यालय SSLC में सर्वोच्च अंक प्राप्त करने के लिए नकद पुरस्कार।
  • कर्नाटक के विश्वविद्यालय परीक्षा में प्रथम स्थान पर रहने के लिए सी एस देसाई पुरस्कार।
  • कर्नाटक के उत्कृष्ट इंजीनियरिंग छात्र होने के लिए, कर्नाटक सरकार का युवा सेवा विभाग पुरस्कार।
  • 1995 रोटरी क्लब ऑफ़ बैंगलोर से 1995 में सर्वश्रेष्ठ शिक्षक पुरस्कार।
  • समाज को उत्कृष्ट सामाजिक सेवा के लिए भारत के सार्वजनिक संबंध सोसायटी से राष्ट्रीय पुरस्कार।
  • कन्नड़ में उनकी तकनीकी पुस्तक के लिए अत्तिमाबे पुरस्कार (शाले मक्कलगी कंप्यूटर – स्कूली बच्चों के लिए कंप्यूटर)
  • रोटरी साउथ द्वारा उत्कृष्ट सामाजिक सेवा के लिए पुरस्कार – हुबली।
  • 2000 में साहित्य और सामाजिक कार्यों के क्षेत्र में उपलब्धि के लिए कर्नाटक  का राज्य पुरस्कार।
  • 2001 में वर्ष 2000 में किये गए उत्कृष्ट सामाजिक कार्य के लिए ओजस्विनी पुरस्कार।
  • 2006 में उन्होंने आर.के. साहित्य के लिए नारायण पुरस्कार।
  • 2011 में मूर्ति को भारत में औपचारिक कानूनी शिक्षा और छात्रवृत्ति को बढ़ावा देने के लिए उनके योगदान के लिए मानद एलएलडी (डॉक्टर ऑफ लॉ) की उपाधि से सम्मानित किया गया।
  • 2013 में बसवेश्वरा मेडिकल कॉलेज के सभागार में समाज में उनके योगदान के लिए नारायण मूर्ति और सुधा मूर्ति को बसवाश्री -2016 पुरस्कार प्रदान किया गया।
  • 2018 में मूर्ति को क्रॉसवर्ड-रेमंड बुक अवार्ड्स में लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड मिला।

सुधा मूर्ति की पुस्तकें ( Sudha Murthy books)

सुधा मूर्ती की पुस्तके कन्नड़ भाषा में

  • Samanyaralli Asamanyaru
  •  Mahashweta
  • Yashashvi
  • Tumula
  • Kaveri Inda Mekaangige
  • Guttondu Heluve
  • Manada Matu
  • Dollar Sose
  •  Paridhi
  • Makkaligagi – Nanna Mechina
  • Kathegalu(Children’s Stories)
  •  Runa
  • Hakkiya Teradalli (Travelogue)
  •  Shalamakkaligagi Computer
  •  Athirikthe
  • Sukeshini Mattu Itara Makkala Kathegalu
  • Computer Lokadalli

सुधा मूर्ती की पुस्तके अंग्रेजी भाषा में ( Sudha Murthy novels)

  • The Serpent’s Revenge
  • How I Taught My Grandmother To Read
  • Something Happened On The Way To Heaven
  • The Old Man And His God: Discovering The Spirit Of India
  • The Day I Stopped Drinking Milk
  • Wise And Otherwise
  • Gently Falls The Bakula
  • The Accolades Galore
  • The Bird With Golden Wings:
  • Stories Of Wit And Magic
  • Grandma’s Bag Of Stories (Children’s Fiction)
  • The Magic Drum And Other Favourite Stories (Children’s Stories)
  • House Of Cards
  • The Mother I Never Knew (Two Novellas)
  •  Three Thousand Stitches
  •  The Man From The Egg
  • Here, There, Everywhere
  • Magic Of The Lost Temple

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