लद्दाख में LAC पर भारत और चीन के विवाद को दूर करने के लिए कई दफा कमांडर रैंक की मीटिंग हो चुकी है, साथ ही दोनों देशों के विदेश मंत्री भी मामले पर कई बार चर्चा कर चुके हैं। लेकिन मुद्दा सुलझाने की वजह और बिगड़ता जा रहा है। चीन अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। एक बार फिर ड्रैगन ने भारी संख्या में अपने सैनिकों को LAC पर भेज दिया है। इस बात की जानकारी अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोंपियों ने दी है।
बता दे कि कबाड समूह के देशों में अमेरिका जापान भारत और ऑस्ट्रेलिया शामिल है। कबाड देशों के विदेश मंत्रियों ने टोक्यो में मुलाकात की, ये बताया जा रहा है, कि कोविड-19 शुरू होने के बाद यह पहली आमने सामने की मुलाकात है।
चारों देश की बैठक जापान की राजधानी टोक्यो में हुई। यह बैठक हिंद प्रशांत दक्षिण चीन सागर और पूर्वी लद्दाख में LAC पर चीन के आक्रमक सैन्य रुख को लेकर हुई। अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार NSA ने कहा कि भारत से लगती वास्तविक नियंत्रण रेखा पर ताकत के बल पर नियंत्रण करने की चीन की कोशिश उसकी विस्तारवादी आक्रमक का हिस्सा है, और यह स्वीकार करने का समय आ गया है, कि बातचीत और समझौता से चीन अपने इरादे नहीं बदलने वाला।
पूर्वी लद्दाख और चीन सीमा पर 5 महीनों से चीन और भारत के बीच तनाव की स्थिति बनी हुई है। जिसके कारण दोनों एक दूसरे से समझौता नहीं कर पा रहे हैं। दोनों देशों के तनाव को सुलझाने के लिए उच्च स्तरीय सैन्य वार्ताओं का दौर चल रहा है। लेकिन अब तक इस समस्याओं का समाधान नहीं निकल पाया है। अमेरिका NSA रॉबर्ट ब्राउन ने कहा। सीसीपी का भारत के साथ लगती सीमा पर आक्रमण स्पष्ट है। जहां पर चीन अपनी ताकत के बल पर जीत हासिल करने की कोशिश कर रहा है।
अमेरिका का बयान
अमेरिका का यह बयान ऐसे वक्त में आया। जब रविवार 12 अक्टूबर को लद्दाख में भारत और चीन कमांडरों की बीच बातचीत होने वाली है। 26 या 27 अक्टूबर को नई दिल्ली में भारत और अमेरिका के विदेश मंत्रियों और रक्षा मंत्रियों की बैठक होने वाली है। इसके मद्देनजर रॉबर्ट ब्राउन का बयान बेहद अहम माना जा रहा है। इससे पहले अमरीकी विदेश मंत्री माइक पोंपियो ने कहा था, कि उत्तरी सीमा पर चीन ने 60 हजार सैनिक को तैनात किया है।
आर्मी के वाइस चीफ लेफ्टिनेंट का सुझाव
आर्मी के वाइस चीफ लेफ्टिनेंट जनरल एसके सैनी ने सुझाव देते हुए कहा है, कि भारतीय सेना को आत्मनिर्भर बनने की जरूरत है उसने कहा कि बड़ी संख्या में भारतीय सेना ऊंचाई वाले इलाकों में तैनात किए गए हैं जहां का तापमान शून्य से 50 डिग्री सेल्सियस तक नीचे चला जाता है।
जिसमें सबसे जरूरी है। सैनिक के लिए जरूरी कपड़े और उपकरण। ऐसे में ब्राउन ने कहा कि समय आ गया है, कि स्वीकार किया जाए कि बातचीत या समझौते से साम्यवादी चीन को सहमत या मजबूर नहीं किया जा सकता और ना ही शांति से इसका कोई हल होगा।