Air India Disinvestment: केंद्र सरकार ने एयर इंडिया (Air India sale) के विनिवेश (बेचने) की दिशा में एक कदम और आगे बढ़ा लिया है। कर्ज में डूबी सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी एयर इंडिया का विनिवेश अब आखिरी दौर में पहुंच चुका है। एयर इंडिया में बोली लगाने की आज आखिरी तारीख थी। इसमें सिर्फ दो निवेशकों ने बोली लगाई है। जानकारी के मुताबिक, टाटा संस (Tata Sons) ने एयर इंडिया को खरीदने के लिए बोली लगाई है। कंपनी के प्रवक्ता ने इस बात की जानकारी दी है। इसके अलावा, स्पाइस जेट के चयरमैन अजय सिंह (Ajay Singh) ने अपनी निजी हैसियत से बोली लगाई है।
निवेश और लोक संपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) के सचिव तुहिन कांत पांडे ने ट्विटर पर लिखा, “लेनदेन सलाहकार को एयर इंडिया के विनिवेश के लिए वित्तीय बोलियां मिली हैं। इसकी प्रक्रिया अब अंतिम चरण में है।” केंद्र सरकार सरकारी स्वामित्व वाली एयरलाइन में अपनी 100 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचना चाहती है, जिसमें एआई एक्सप्रेस लिमिटेड (AI Express Ltd) में एयर इंडिया की 100 प्रतिशत हिस्सेदारी और एयर इंडिया एसएटीएस एयरपोर्ट सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड (SATS Airport Services Private limited) में 50 प्रतिशत हिस्सेदारी शामिल हैं।
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Air India Disinvestment 2020 में शुरू हुई थी विनिवेश प्रक्रिया
सरकार ने घाटे से जूझ रही एयर इंडिया (Air India) को बेचने के लिए जनवरी 2020 में विनिवेश प्रक्रिया शुरू की थी। उसी दौरान देश में कोरोना वायरस का संक्रमण शुरू हो गया। जिसके चलते यह प्रक्रिया करीब 1 साल तक अधर में लटक गई। इस साल अप्रैल में सरकार ने इच्छुक कंपनियों से कहा कि वे एयर इंडिया को खरीदने के लिए वित्तीय बोली लगाएं।
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जानिए क्या-क्या बेच रही सरकार
सरकार ने 2018 में एयर इंडिया में 76 फीसदी हिस्सेदारी बेचने की पेशकश की थी लेकिन उसे किसी ने भी भाव नहीं दिया था। इस बार सरकार इस कंपनी में अपनी पूरी हिस्सेदारी बेच रही है। इसमें एयर इंडिया और उसकी सहयोगी कंपनी एयर इंडिया एक्सप्रेस के साथ ग्राउंट हैंडलिंग कंपनी AISATS में 50 फीसदी हिस्सेदारी शामिल है। इन एयरलाइंस को 23,000 करोड़ रुपये के कर्ज के साथ ट्रांसफर किया जाएगा। बाकी 22,000 करोड़ रुपये का कर्ज सरकार की कंपनी Air India Asset Holdings (AIAHL) को ट्रांसफर किया गया है।
एयर इंडिया को टाटा समूह ने ही शुरू किया था
टाटा समूह ने एयरएशिया इंडिया (AirAsia India) के माध्यम से एयर इंडिया (Air India) के लिए बोली लगाई है। एयर इंडिया को टाटा समूह ने ही शुरू किया था और अब 68 साल बाद एक बार फिर एयर इंडिया के टाटा समूह की झोली में आने की उम्मीद जगी है। जेआरडी टाटा ने 1932 में टाटा एयरलाइंस की स्थापना की थी। दूसरे विश्वयुद्ध के वक्त विमान सेवाएं रोक दी गई थीं। जब फिर से विमान सेवाएं बहाल हुईं तो 29 जुलाई 1946 को टाटा एयरलाइंस का नाम बदलकर उसका नाम एयर इंडिया लिमिटेड कर दिया गया। आजादी के बाद 1947 में एयर इंडिया की 49 फीसदी भागीदारी सरकार ने ले ली थी। 1953 में इसका राष्ट्रीयकरण हो गया।
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टाटा ग्रुप ने एयर इंडिया के अधिग्रहण के लिए अपने बेहतरीन लोगों को काम पर लगाया है। टाटा ग्रुप ने सरकारी कंपनी एयर इंडिया को खरीदने की प्रक्रिया में अपने एक दर्जन बेहतरीन स्टाफ को लगाया है। साल 2021 में टाटा ग्रुप यह सुनिश्चित करना चाहता है कि उसके हिसाब से इस बार Air India डील में कोई अड़चन नहीं आए। टाटा ग्रुप की टीम एयर इंडिया की वैल्यू लगाने से लेकर खरीदारी के अन्य पहलुओं पर बारीकी से काम किया। उसके पिछले कामकाज, आमदनी और देनदारी के हर मसले की जांच की गई।
Air India Disinvestment 15 सितंबर तय की गई थी अंतिम तारीख
हाल ही में केंद्रीय उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने स्पष्ट किया था कि वित्तीय बोली लगाने के लिए अंतिम तारीख आगे नहीं बढ़ाई जाएगी। जिसके बाद बुधवार शाम तक सरकार के पास कई कंपनियों की फाइनेंशियल बिड आ गई। सरकार ने इससे पहले वर्ष 2018 में एयर इंडिया (Air India) की 76 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने की पेशकश की थी लेकिन वह कामयाब नहीं हो पाई। जिसके बाद सरकार ने इस साल कंपनी की शत-प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने का ऐलान किया।