White Button Mushroom: भारत में मशरूम की खेती का प्रचलन दिन प्रतिदिन काफी बढ़ता जा रहा है। जैसे जैसे मनुष्य मानसिक एवं आधुनिक युग की तरफ अग्रसर हो रहे है, वो अपने शरीर के पोषक तत्व युक्त, गुणकारी, पाचनशील, स्वादिष्ट उपयोगी सब्जी भी अपने डाइट में लेना पसंद कर रहे है। गुणों सेे भरे मशरूम (button mushroom agaricus bisporus) से शरीर को काफी मात्रा में प्रोटीन, खनिज-लवण, विटामिन बी, सी व डी मिलती है जो अन्य सब्जियों की तुलना में काफी ज्यादा होती है। इसमें मौजूद फोलिक अम्ल की उपलब्धता शरीर में रक्त बनाने में मदद करती है, इसका सेवन मनुष्य के रक्तचाप, हृदयरोग, में लाभकारी होता है। आइए जानते हैं (white Button Mushroom kaise ugaye) बटन मशरूम कैसे उगाए और उससेे जुड़ी तमाम जानकारी।
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Button mushroom
देश की मिट्टी से जुड़े कई ऐसे पढ़े-लिखे नौजवान हैं जो कमाई के लिए खेती की तरफ मुड़ गए हैं। फार्मिंग (Farming) अगर आपका भी पैशन है तो खुद ऐसा उत्पाद लें जो कम कमाई की गारंटी दे सके। जैसे एग्जॉटिक वेजिटेबलम बटन मशरूम (Button Mushroom) मशरूम (Mushroom) की मांग रेस्तरां और होटल के लिए तो होती है, आजकल घरों में भी इसे लोग इस्तेमाल कर रहेे है। जिससे बटन मशरूम (White Button Mushroom) की मांग तेजी से बढ़ रही है।
बटन मशरूम (Button Mushroom) एक ऐसी जाति है जिसमें मिनरल्स (Minerals) और विटामिन (Vitamins) भरपूर मात्रा में होता है। इसकेे ऐसे कई बेनिफिट्स की वजह से मशरूम लोकप्रिय हो रहे हैं। बाजार में इसकी रिटेल भाव 300 से 350 रुपये किलो है और थोक का रेट इससे 40 फीसदी कम होता है। इसे मिल रही बड़ी मांग के चलते कई किसानों ने पारंपरिक खेती को छोड़कर मशरूम उगाना शुरू कर दिया है।
प्रति वर्ग मीटर में 10 किलोग्राम मशरूम आराम से पैदा किया जा सकता है। कम से कम 40×30 फुट की जगह में तीन-तीन फुट चौड़ी रैक बनाकर मशरूम उगाए जा सकते हैं।उत्तरी भारत में सफेद बटन मशरुम की मौसमी खेती करने के लिए अक्तूबर से मार्च तक का समय उपयुक्त माना जाता है।
मशरूम 5 तरह के होते हैं
- बटन मशरूम (Button Mushroom)
- ढिंगरी मशरूम (ऑयस्टर मशरुम)
- दूधिया मशरूम (मिल्की मशरूम)
- पैडीस्ट्रा मशरुम
- शिटाके मशरूम
White Button Mushroom| वाइट बटन मशरूम कैसे उगाए सही समय
बटन मशरूम white Button Mushroom उगाने का सही समय अक्टूबर से मार्च के महीने में होता है, इन छ: महीनों में दो फसलें उगाई जाती हैं। बटन खुम्बी की फसल के लिए आरम्भ में 220-260 तापमान की आवश्यकता होती है, इस ताप पर कवक जाल बहुत तेजी से बढ़ता है बाद में इसके लिए 140-180 ताप ही उपयुक्त रहता है। इससे कम ताप पर फलनकाय की बढ़वार बहुत धीमी हो जाती है।
White Button Mushroom के लिए खाद तैयार करना
बटन मशरूम की खेती एक विशेष प्रकार की खाद पर ही की जाती है जिसे कम्पोस्ट कहते हैं। मशरूम कम्पोस्ट तैयार करने के लिए किसी विशेष मूल्यवान मशीनरी या यन्त्र की जरूरत नही पड़ती है। कम्पोस्ट बनाने में निम्न प्रकार की सामग्री काम में ली जाती है।
गेहूं या चावल का भूसा 1000 किलोग्राम, अमोनियम सल्फेट, केल्शिम अमोनियम नाईट्रेट-27 किलोग्राम, सुपरफौसफेट-10 किलोग्राम, यूरिया-17 किलोग्राम, गेहूं का चोकर 100 किलोग्राम जिप्सम 36 किलोग्राम लिया जाता है।
इस कंपोस्ट को शेड में तैयार किया जाता है
इसे कंपोस्ट शेड में ही तैयार किया जाता है। इस कम्पोस्ट को तैयार करने में लगभग 28 दिन का समय लगता है। सबसे पहले समतल एवं साफ फर्श पर भूसे को 2 दिन तक पानी डाल कर गिला किया जाता है, इस अवस्था में भूसे में नमी 75 प्रतिशत होनी चाहिए और भूषा अधिक गिला नही होना चाहिए। इसमें 2 दिन तक पानी गिराने के बाद फिर भूसे को तोड़ कर देखें भूसा अन्दर से सुखा न हो तो ठीक अन्यथा सुखा हो तो फिर से पानी मिलाएं।
इस गीले भूसे में जिप्सम के अलावा सारी सामग्री को मिला कर उसे थोड़ा और गिला करें। इस बात का ध्यान रखें की पानी उसमे से बाहर न निकले फिर भूसे से एक मीटर चौड़ा एवं तीन मीटर तक लम्बा (लम्बाई कम्पोस्ट की मात्रा के अनुसार) और करीब डेढ़ मीटर ऊंचा चौकोर ढ़ेर बना लें। ढ़ेर को 2-3 दिन तक ऐसे ही पड़ा रहने दें। 3 दिन बाद ढ़ेर की पलटी शुरू करें, एवं ध्यान रखें की ढ़ेर का अन्दर का हिस्सा बाहर और बाहर का हिस्सा अन्दर आ जाए।
पलटाई करने का पूरा विवरण
- 0-2 दिन– भूसे को गिला करना, जिप्सम को छोड़कर सारी सामग्री मिलकर पानी छिड़क कर उसका ढ़ेर बना लें।
- 3 दिन– पहली पलटाईः ढेर को इस तरह तोड़े की ऊपर का हिस्सा निचे और निचे का हिस्सा ऊपर हो जाए. इस पर लिंडेन छिड़क दें ताकि मक्खियां न बैठे और आसपास फोर्मलिन 6 प्रतिशत घोल का छिड़काव करें।
- छठे दिन- दूसरी पलटाईः ढेर की दूसरी बार पलटाई करें।
- नौवां दिन- तीसरी पलटाई: जिप्सम को मिलकर पलटाई करें एवं पुनः ढ़ेर बना दें।
- बारहवा दिन चौथी पलटाईः पलटाई करके फोर्मलिन 6 प्रतिशत घोल का छिड़काव करें।
- पन्द्रहवां दिन- पांचवी पलटाई
- अठारवा दिन- छटी पलटाईःआस पास फोर्मलिन 4 प्रतिशत घोल का छिड़काव करें।
- इक्कीसवें दिन- सातवीं पलटाई करें और साथ ही कम्पोस्ट को सूंघ कर देखें यदि अमोनिया की गंध आ रही हो तो पलटाई ठीक से करें।
- चौबीसवां दिन- आठवीं पलटाईः इस पलटाई में अमोनिया की गंध बिलकुल नहीं होनी चाहिए
- और यदि है तो एक बार और एक दिन बाद फिर से पलटाई करें नहीं तो पैदावार कम और प्रभावित होती है।
- अब कम्पोस्ट में नमी की मात्रा देखने के लिए उसे मुट्ठी में ले कर दबाएं
- थोड़ा भी पानी उंगलियों के बीच नजर आये तो उपयुक्त है। यदि अधिक पानी रह गया है तो कम्पोस्ट को थोड़ा फैला दें जिससे अतिरिक्त नमी उड़ जाए।
- सत्ताईसवां दिन- कम्पोस्ट खाद बीज मिलाने(स्पानिंग) के लिए तैयार है।
White Button Mushroom मशरूम के खाद की सही पहचान
- तैयार की गई कम्पोस्ट खाद गहरे भूरे रंग की दिखाई देती है।
- खाद में नमी की मात्रा 60-65 प्रतिशत होनी चाहिए।
- इसमें नाइट्रोजन की मात्रा लगभग 1.75-2.25 प्रतिशत होनी चाहिए।
- खाद पूर्णतः अमोनिया गैस की बदबू रहित होनी चाहिए।
- ये खाद कीट एवं रोगाणु रहित होनी चाहिए।
- खाद का पीएच मान 7.2-7.8 के बीच होना चाहिए।
मशरूम के बीज कहां से खरीदें (Place to buy Mushroom seeds online and offline in India)
आप मशरूम के बीज को ऑनलाइन से भी मंगा सकते हैं, या फिर सीधे सरकार कृषि केंद्रों की मदद से भी प्राप्त कर सकते हैं
व्हाइट बटन मशरूम की बीजाई (Spining)
- मशरूम का बीज ताजा, पूरी बढ़वार लिए एवं अन्य फफूंद से मुक्त होना चाहिए।
- बीज की मात्रा एक क्विंटल कम्पोस्ट में 75 से 1 किलोग्राम होनी चाहिए।
- इस बीज को कम्पोस्ट में अच्छी तरह मिलाए।
- इसे पॉलिथीन की थैलियों(12 इंच) या पोलीथिन शीट (6-8 इंच) पर शेल्फ में भर दें।
- पोलीथिन की थैलियों को ऊपर से मोड़ कर बंद कर देना चहिए जबकि शेल्फ पर अखबार ढ़क देना चाहिए।
- थैलियां 8 किलोग्राम कम्पोस्ट भरने के लिए उपयूक्त हो, इससे उत्पादन 10 किलोग्राम कम्पोस्ट के बराबर मिलता है।
- इस समय कमरे का ताप 250 से कम एंव नमी 70 प्रतिशत रखनी चाहिए।
- करीब 15 दिन बाद स्पान रन पूरा हो जाता है और उसके बाद केसिंग की आवश्यकता होती है।
केसिंग/Casing
ऍफ वाई एम दोमट मिट्टी रेती दो साल पुरानी बटन मशरूम की खाद किसी भी एक मिश्रण को लें 8 घंटे तक पानी में भिगोना आवश्यक है। करीब 8 घंटे बाद पानी से निकालकर और सुखा कर केसिंग मिट्टी का निर्जीवीकरण फोर्मेलिन 6 प्रतिशत के घोल से करना चाहिए एवं उसे 48 घंटे तक बंद रखना चाहिए। उसके बाद इसे खोल कर 24 घंटे फैला कर रखें ताकि मिश्रण सूख जाए एवं स्पान रन कम्पोस्ट पर एक इंची मोटी परत इस केसिंग मिट्टी की लगनी चाहिए एवं पानी इस तरह छिडके की केवल केसिंग ही गीली हो। कमरे का तापमान 200 से कम एवं नमी 70-90 प्रतिशत के बीच होनी चाहिये साथ ही स्वच्छ हवा का आगमन होना चाहिए।
वहीं केसिंग करने के लगभग 10-12 दिन के पश्चात इसमें छोटे छोटे मशरूम के अंकुरण बनने शुरू हो जाते हैं। इस समय से केसिंग पर 0.3 प्रतिशत कैल्सियम क्लोराइड का छिड़काव दिन में दो बार पानी के साथ जरूर करना चाहिए, जिससे मशरूम अगले 5-7 दिनों में बढ़कर पूरा आकर ले लेते हैं। इन्हें घुमाकर तोड़ लेना चाहिए, तोड़ने के बाद नीचे की मीती लगे तने के भाग को चाकू से काटकर अलग कर दें। एक बार केसिंग लगाने से ले कर करीब 80 दिन तक फसल प्राप्त होती रहती है।
मशरूम की कटाई/Harvesting Mushroom
- मशरूम पिनहेड से 10-12 दिनों के बाद निकलना शुरू होती है,
- और मशरूम की फसल 50-60 दिनों में काटी जाती है।
- कटाई के दौरान, हेड को धीरे से पकड़कर घुमाना होगा। और मिटटी की परत को दबाके रखना होगा।
- अब लास्ट में 3 से 4 दिनों के लिए रेफ्रिजरेटर में मशरूम को स्टोर करना उचित नहीं है।
- मशरूम को कवर करने के लिए एक हलकी भीगी हुई तौलिया का उपयोग करें
- ये उन्हें लंबे समय तक चलने वाला बनाता है।
50 हजार लगाकर 2.50 लाख की कमाई
- बटन मशरूम की खेती के लिए कम्पोस्ट बनाया जाता है। एक क्विंटल कम्पोस्ट में डेढ़ किलोग्राम बीज लगते हैं।
- 4 से 5 क्विंटल कम्पोस्ट बनाकर करीब 2 हजार किलो मशरूम पदै हो जाता है।
- अब 2 हजार किलो मशरूम कम से कम 150 रुपये किलो के हिसाब से बिकता है
- जिससे करीब 3 लाख रुपये मिल जाएंगे।
- इसमें से 50 हजार रुपये लागत के तौर पर निकाल दें तो भी 2.50 लाख रुपये बचते हैं।
- हालांकि इसकी लागत 50 हजार रुपये से कम ही आती है।