Surya Grahan 2021 in India:10 जून 2021 को साल का पहला सूर्यग्रहण है। इससे पहले 26 मई को पूर्णिमा के दिन चंद्रग्रहण लगा था। 15 दिनों के अंतर में यह दूसरा ग्रहण है। साल का यह पहला सूर्यग्रहण वलयाकार सूर्य ग्रहण होगा जिसमें कुछ स्थानों पर सूर्य अगूंठी जैसा नजर आएगा जिसे रिंग ऑफ फायर भी कहा जाता है। भारतीय समय के अनुसार दोपहर 1 बजकर 42 मिनट से शाम 6 बजकर 41 मिनट तक सूर्यग्रहण रहेगा। इस सूर्यग्रहण की कुल अवधि करीब 5 घंटे की रहेगी।
यह दुनिया के कई हिस्सों में देखा जा सकेगा। हिंदू पंचांग के अनुसार अमावस्या तिथि पर सूर्यग्रहण के साथ दो प्रमुख व्रत भी है पहला इस दिन शनि जयंती भी मनाई जाएगी, ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि पर न्याय के देवता भगवान शनि की जन्म हुआ था। दूसरा इस दिन वट सावित्री व्रत भी रखा जाएगा। ज्योतिशास्त्र के अनुसार सूर्यग्रहण वृषभ राशि और मृगशिरा नक्षत्र में लगा।
Surya Grahan 2021 in India कहां कहां दिखेगा ग्रहण
सूर्य ग्रहण 10 जून को दोपहर 1:42 मिनट से शुरू होगा जिसकी समाप्ति शाम 6:41 मिनट पर होगी। उत्तरी अमेरिका के उत्तरी भाग में, उत्तरी कनाडा, यूरोप और एशिया में, ग्रीनलैंड और रुस के अधिकांश हिस्सों में इसे देखा जा सकेगा। कनाडा, ग्रीनलैंड तथा रूस में वलयाकार सूर्य ग्रहण दिखाई देगा। वहीं उत्तर अमेरिका के अधिकांश हिस्सों, यूरोप और उत्तर एशिया में आंशिक सूर्य ग्रहण दृश्य होगा।
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Surya Grahan 2021 in India भारत में नहीं दिखेगा यह ग्रहण
10 जून को लगने वाला ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा। इस कारण ग्रहण के पहले लगने वाला सूतक भी मान्य नहीं होगा। सूतक काल के दौरान मंदिरों के कपाट बंद कर दिए जाते हैं। लेकिन, भारत में इसका प्रभाव न होने के कारण 10 जून को मंदिरों के कपाट खुले रहेंगे।हालांकि खगोल के जानकारों का कहना है कि भारत में इस ग्रहण को सूर्यास्त के कुछ मिनटों पहले लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश में आंशिक तौर पर देखा जा सकता है। विदेशों में रिंग ऑफ फायर का नजारा भी देखने को मिलेगा।
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ऐसा दिखेगा रिंग ऑफ फायर का नजारा
रिंग ऑफ फायर को वलयाकार सूर्य ग्रहण कहा जाता है। ऐसा तब होता है जब चंद्रमा सूर्य के पूरे भाग को अपनी छाया में नहीं ढक पाता है। इस स्थिति में सूर्य का कुछ हिस्सा चंद्रमा के पीछे से चमकता है और उसका नजारा आग में तपती एक अंगूठी जैसा होता है। इसे ही रिंग ऑफ फायर कहते हैं।
10 जून को लगने वाला सूर्य ग्रहण इसलिए भी खास है, क्योंकि शनि जयंती पर ग्रहण का योग करीब 148 साल बाद बन रहा है। इससे पहले शनि जयंती पर सूर्य ग्रहण 26 मई 1873 को हुआ था। बता दें कि सूर्य और शनि देव पिता-पुत्र हैं।