विश्व की सबसे ऊंची प्रतिमा स्टैच्यू ऑफ़ यूनिटी से 9 गुना बड़ा उल्कापिंड मार्च में पृथ्वी के बेहद करीब से गुजरने जा रहा है अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने इसे खतरे की संभावना वाला उल्कापिंड करार दिया है। इसकी खोज 2001 में की गई थी जिसे 231937 नाम दिया गया था। वैसे तो यह उल्का पिंड पृथ्वी से नहीं टकराएगा बल्कि करीब 12 लाख किलोमीटर दूर से गुजरेगा। यह दूरी चंद्रमा और पृथ्वी की दूरी के 5 गुना है। लेकिन कहीं भावी खतरों की आशंका अलग-अलग देशों के वैज्ञानिक जोधा रही है। वैज्ञानिक के अनुसार यह भविष्य के सौरमंडल के किसी ग्रह से टकरा सकता है। ऐसा बताया जा रहा है कि यह उल्का पिंड 21 मार्च को पृथ्वी के सबसे निकट होगा।
नासा के अनुसार 500 मीटर से अधिक आकार और पृथ्वी से 75 लाख किलोमीटर से कम दूरी से गुजरने वाले एस्टेरॉयड हमारी धरती पर जीवन के लिए खतरे की संभावना रखते हैं।
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8 इंच की अपर्चर दूरबीन से देखना संभव
एस्टेरॉइड को 8 इंच की अपर्चर क्षमता वाली दूरबीन से देखा जा सकता है। वैज्ञानिकों ने बताया कि यह दक्षिण क्षितिज पर सूर्यास्त के बाद नजर आएगा। सूर्य का चक्कर लगाने वाला यह चट्टानी उल्कापिंड आमतौर पर हमारे सौरमंडल में मंगल और बृहस्पति ग्रह के बीच में पाए जाते हैं। इनका जन्म सौरमंडल के साथ हुआ था। इसमें से कई हमारी पृथ्वी के निकट से भी अक्सर गुजरते हैं। छोटे एस्टेरॉइड तो पृथ्वी और चंद्रमा के बीच से भी निकल जाते हैं। इस दौरान उनसे छूटकर कुछ हिस्से पृथ्वी के वातावरण में चले जाते हैं और तेज गति से भस्म हो जाते हैं।
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स्टैच्यू ऑफ़ यूनिटी से 9 गुना बड़ा उल्कापिंड कवैज्ञानिको के अनुसार
अब तक ज्ञात खतरों की संभावना वाला एस्टेरॉयड्स में से कोई भी कम से कम अगले 100 साल तक पृथ्वी से नहीं टकराएंगे। साल 2185 में एस्टेरॉयड 410777 पृथ्वी से टकरा सकता है, लेकिन इसकी संभावना भी 714 में से एक है। बीते 6.6 करोड़ साल में ऐसा कोई पिंड से नहीं टकराया है जो जीवन को तबाह कर सके।