NIA की छापेमारी पर भड़की महबूबा मुफ्ती

जम्मू कश्मीर: राष्ट्रीय जांच एजेंसी एनआईए की ओर से टेरर फंडिंग मामले में श्रीनगर और दिल्ली में कुल 9 स्थानों में छापेमारी की गई है। जिसमें 6 एनजीओ ( NGO) और बाकी ट्रस्ट है। एनआईए की इस छापे की वजह से महबूबा मुफ्ती भड़क उठी।

महबूबा ने बीजेपी पर आरोप लगाते हुए कहा कि, जांच एजेंसियां बीजेपी के इशारे पर काम करती है, और जो बीजेपी का बात नहीं मानते उसका आवाज दबाने की का काम करती है।

टेरर फंडिंग मामले में एनआईए ने श्रीनगर में 10 जगहों पर छापेमारी की जिसमें कुछ गैर सरकारी संगठन और स्थानीय अखबार का दफ्तर है। एजेंसी के मुताबिक ये छापेमारी जम्मू कश्मीर में अलगाववादी और चरमपंथी गतिविधियों की मदद करने के लिए धन जुटाने के संदेह में मारी गई है।

एनआईए ने एक बयान में कहा कि छापे  के दौरान दोष साबित करने वाले कई दस्तावेज और इलेक्ट्रॉनिक सामान जप्त किए गए हैं। एनआईए के मुताबिक ये संगठन अज्ञात अज्ञात दानदाताओं से पैसे ले रहे थे, और उनका इस्तेमाल आतंकवादी क्रियाकलाप में कर रहे थे। वही एनआईए ने बेंगलुरु और वांदीपुरा में छापेमारी की है।

घरों में ली गई एनआईए की छापेमारी

एनआईए के मुताबिक जम्मू कश्मीर कोअलीशन ऑफ सिविल सोसाइटी के संचालक खुर्रम परवेज और उनके सहयोगी अहमद बुखारी, परवेज अहमद मटटा और सहयोगी स्वाति शेषाद्री के ठिकाने पर छापेमारी की गई।

इसके अलावा एसोसिएशन ऑफ पेरेंट्स ऑफ दिसअपीयर्ड पर्सन की अध्यक्ष प्रवीण अहंगर और ग्रेटर कैलाश ट्रस्ट के ऑफिस में भी छापेमारी पड़ी। वही बेंगलुरु में भी एक स्थान पर गैर सरकारी संगठनों और ट्रस्टों से संबंधित छापेमारी की गई, जो धार्मिक कार्यों के नाम पर भारत और विदेशों से पैसे खट्टा करवा रहा था।

वही कश्मीर के छह एनजीओ में फलाह -ए-आम ट्रस्ट, चैरिटी अलायंस, ह्यूमन वेलफेयर फाउंडेशन, जेके यतेम फाउंडेशन, सॉल्वेशन मूवमेंट और जे एंड वॉइस ऑफ विक्टिम्स का नाम शामिल है।

एनआईए ( NIA) पर भड़की महबूबा मुफ्ती

पीडीपी चीफ महबूबा मुफ्ती एनआईए की छापेमारी पर भड़क गई। उन्होंने ट्विटर पर लिखा मानवाधिकार कार्यकर्ता खुर्रम परवेज और ग्रेटर कश्मीर ऑफिस पर रेड अभिव्यक्ति की आजादी को दबाने के लिए सरकार के प्रयास का यह एक नमूना है।

दुख की बात है कि, एनआईए बीजेपी के इशारे पर काम करती है। महबूबा ने एक ट्वीट में लिखा कि सरकार चाहती है, कि मीडिया योग व सेहत पर चर्चा करें। जम्मू कश्मीर के लोगों की जमीन और संस्थानों पर बात ना करें।

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