डेल्टा वेरिएंट: भारत में पहली बार खोजे गए कोविड -19 के सबसे ज्यादा खतरनाक वेरिऐंट ‘डेल्टा’ का एक और नया म्यूटेंट आ सकता है। विशेषज्ञों की माने तो डेल्टा का AY.1 या डेल्टा + नामक ज्यादा खतरनाक वेरिएंट में परिवर्तित होने की आशंका है। यह वेरिएंट इतना खतरनाक हो सकता है कि इसपर अबतक की सबसे सफल दवा मोनोक्लोनल एंटीबॉडी कॉकटेल का भी असर नहीं होगा।
आपको बता दें कि मोनोक्लोनल एंटीबॉडी कॉकटेल दो दवाओं का मिक्सचर है। इसे दो दवाओं कासिरिविमाब (Casirivimab) और इम्देवीमाब (Imdevimab) के 600-600 एमजी का डोज मिलाकर तैयार किया जाता है। कासिरिविमाब और इम्देवीमाब को स्विट्जरलैंड की फार्मा कंपनी रोशे ने बनाया है। ये दवा शरीर में कोरोनावायरस को फैलने से रोकता है।
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डेल्टा वेरिएंट यूके सरकार द्वारा
UK सरकार के स्वास्थ्य और सामाजिक देखभाल विभाग की एक कार्यकारी एजेंसी पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड के अनुसार, ग्लोबल साइंस इनिशिएटिव GISAID पर अब तक नए K417N म्यूटेशन के साथ डेल्टा (B.1.617.2) के 63 जीनोम की पहचान की गई है। पिछले शुक्रवार तक अपडेट किए गए कोविड-19 वैरिएंट पर अपनी लेटेस्ट रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 7 जून तक डेल्टा+ के 6 मामले दर्ज किए गए थे।
डॉ सकारिया ने ट्वीट कर बताया
दिल्ली के इंस्टीट्यूट ऑफ जीनोमिक्स एंड इंटीग्रेटिव बायोलॉजी के डॉक्टर और कम्प्यूटेशनल जीवविज्ञानी डॉ विनोद स्कारिया ने रविवार को एक ट्वीट के माध्यम से बताया कि उभरते हुए वेरिएंट्स में डेल्टा+ (बी.1.617.2.1) में K417N म्यूटेशन के अधिग्रहण की विशेषता थी जो इम्यून एस्केप से जुड़ा है। उन्होंने बताया कि “K417N के लिए वैरिएंट फ़्रीक्वेंसी भारत में बहुत ज्यादा नहीं है, लेकिन जैसे-जैसे डेल्टा विकसित हो रहा है वैसे नए और खतरनाक म्यूटेंट का खतरा भी बढ़ रहा है। हमें इस म्यूटेंट पर फिलाहल और रिसर्च की जरूरत है।
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वहीं दूसरी तरफ भारत में पहली बार खोजे गए डेल्टा संस्करण को विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा ‘चिंता के प्रकार’ के रूप में सूचीबद्ध किया गया है, और अब ये खतरनाक संस्करण तेजी से दुनिया भर में फैल रहा है। फ्रांस, श्रीलंका, चीन समेत कई अन्य देशों में भी इस वैरिऐंट से संक्रमित मरीज पाए गए हैं।
इंग्लैंड की रिपोर्ट के अनुसार
पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड की रिपोर्ट के अनुसार, डेल्टा-AY.1 संस्करण डेल्टा में होने वाले बदलावों की नियमित स्कैनिंग के माध्यम से पाया गया था। रिपोर्ट के अनुसार, बहुत कम संख्या में ज्ञात सीक्वेंसों ने स्पाइक प्रोटीन म्यूटेशन K417N प्राप्त कर लिया था। वैज्ञानिकों ने इस तरह के सबसे पुराने सीक्वेसिंग का श्रेय मार्च के अंत में यूरोप को दिया था। स्कारिया ने कहा कि यूरोप, एशिया और अमेरिका के 127 सीक्वेंस अब पब्लिक डोमेन में मौजूद हैं। स्कारिया ने कहा कि दुनिया भर में मौजूद कई जीनोम AY.1 या B.1.617.2.1 परिवार का हिस्सा थे।